अहमदाबाद: सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही क्षण बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस विमान के दाहिने इंजन की मरम्मत इसी साल मार्च में की गई थी, जबकि बाएं इंजन का निरीक्षण अप्रैल में इंजन निर्माता कंपनी के दिशानिर्देशों के तहत हुआ था।
विमानन अधिकारियों का दावा है कि हादसे से पहले विमान में किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी दर्ज नहीं की गई थी। एयर इंडिया की यह उड़ान संख्या AI-171 थी, जो टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद अहमदाबाद के मेघानीनगर इलाके में एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गई। इस भयावह हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों और चालक दल के 18 सदस्यों में से 260 लोगों की मृत्यु हो गई।
पूर्व में हुई जांचें भी सवालों के घेरे में
मीडिया रिपोर्टों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस विमान की पिछली संपूर्ण रखरखाव जांच जून 2023 में हुई थी। अगली व्यापक जांच इस साल दिसंबर 2025 में निर्धारित थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जांच प्रक्रियाओं में कोई चूक हुई थी या हादसे का कारण कुछ और था।
DGCA ने दिए सख्त निर्देश, 9 विमानों की जांच पूरी
घटना के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया को तत्काल बोइंग 787 बेड़े की एकमुश्त सुरक्षा जांच करने का निर्देश दिया। एयर इंडिया ने जानकारी दी है कि उसके 33 ड्रीमलाइनर विमानों में से 9 की जांच पूरी कर ली गई है, और शेष 24 की जांच नियामक की तय समयसीमा के भीतर पूरी की जाएगी।
परिचालन पर असर, टर्नअराउंड समय में बढ़ोतरी संभव
एयर इंडिया के पास 26 पुराने बोइंग 787-8 और 7 नए 787-9 विमान हैं। कंपनी ने संकेत दिया है कि विस्तृत जांच प्रक्रिया के चलते कुछ उड़ानों के टर्नअराउंड टाइम में बढ़ोतरी हो सकती है, खासकर उन हवाई अड्डों पर जहां रात में संचालन की अनुमति नहीं है।
मृतकों के परिजनों को अंतरिम सहायता
इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों और जीवित बचे लोगों की सहायता के लिए एयर इंडिया ने 25 लाख रुपये की अंतरिम आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। यह राशि टाटा संस द्वारा पहले घोषित एक करोड़ रुपये के मुआवजे के अतिरिक्त होगी।
जांच एजेंसियां हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए ब्लैक बॉक्स और अन्य तकनीकी रिकॉर्ड्स की गहनता से जांच कर रही हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों से यह साफ होता जा रहा है कि मरम्मत और निरीक्षण के बावजूद कोई गंभीर चूक इस त्रासदी की वजह बन सकती है।