पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। इसी बीच, प्रदेश में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर बंगाल में बीजेपी सत्ता में आती है तो मुस्लिम विधायकों को विधानसभा से बाहर फेंक दिया जाएगा। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
टीएमसी ने जताई कड़ी आपत्ति
सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सुवेंदु अधिकारी के बयान की कड़ी निंदा की है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने इसे “नफरत भरा भाषण” करार दिया और कहा कि किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि यह बयान भड़काऊ और अनैतिक है, जिससे समाज में अशांति फैल सकती है।
टीएमसी विधायक की चेतावनी
टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी के बयान पर कड़ा पलटवार किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मुस्लिम विधायकों के खिलाफ कोई कदम उठाया गया, तो वे सुवेंदु अधिकारी का हाथ तोड़ देंगे। उन्होंने अधिकारी को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि उनके पास इतनी हिम्मत नहीं है कि वे इस तरह का कदम उठा सकें।
सुवेंदु अधिकारी के आरोप
बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ इलाकों में पुलिस ने 14 मार्च को सुबह 11 बजे तक होली मनाने के निर्देश दिए थे, क्योंकि यह दिन शुक्रवार था और इस दिन जुमे की नमाज अदा की जाती है। उन्होंने राज्य सरकार को “मुस्लिम लीग 2” करार दिया और पुलिस कर्मियों को “सांप्रदायिक” बताया।
बसंत उत्सव पर पाबंदी का दावा
सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि बीरभूम जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने शांतिनिकेतन में बसंत उत्सव के कार्यक्रम को सुबह 11 बजे तक समाप्त करने का निर्देश दिया था, क्योंकि यह शुक्रवार को पड़ रहा था और इस दिन जुमे की नमाज होती है। उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
सुवेंदु अधिकारी के इस बयान ने बंगाल की राजनीति को और गरमा दिया है। बीजेपी और टीएमसी के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है, जिससे आगामी चुनावों में ध्रुवीकरण की संभावनाएं बढ़ गई हैं। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का प्रदेश की चुनावी राजनीति पर क्या असर पड़ता है।