बलूचिस्तान में आतंक: ट्रेन हाईजैक से बढ़ा तनाव
बलूचिस्तान के अशांत क्षेत्र में एक सनसनीखेज घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। 11 मार्च 2025 को, क्वेटा से पेशावर जाने वाली “जाफर एक्सप्रेस” पर अचानक सशस्त्र विद्रोहियों ने हमला कर दिया। इस ट्रेन में 400 से अधिक यात्री सवार थे। ट्रेन अपने नौ डिब्बों के साथ पहाड़ी क्षेत्र की एक सुरंग में फंस गई, जब बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के आतंकियों ने रेलवे ट्रैक को विस्फोट से उड़ा दिया और ट्रेन को रोककर कब्जा कर लिया।
इस हमले में ड्राइवर की मौत हो गई, और रातभर चली मुठभेड़ में कम से कम 16 विद्रोही ढेर कर दिए गए। इसके अलावा, 30 से अधिक पाकिस्तानी जवान भी मारे गए हैं।
सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम
पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 104 बंधकों को मुक्त कराया, जिनमें महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल थे। हालांकि, अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि कितने यात्री अब भी आतंकियों के कब्जे में हैं। बीएलए ने इस अपहरण की जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को 48 घंटे की मोहलत दी है और अपनी मांगों की सूची जारी की।
बीएलए की प्रमुख मांगें:
1. बलूच राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए।
2. लापता लोगों को सेना की हिरासत से मुक्त किया जाए।
3. बलूचिस्तान में सेना की मौजूदगी घटाई जाए।
यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आतंकियों ने ट्रेन को पूरी तरह नष्ट करने और 10 बंधकों को मारने की धमकी दी है।
बंधकों को बना रहे ढाल
सुरक्षा बलों का आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन लगातार जारी है। रातभर चली मुठभेड़ में 30 से अधिक विद्रोही मारे जा चुके हैं, लेकिन ऑपरेशन अब भी अपने नाजुक दौर में है। आतंकियों ने बंधकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिससे सेना को अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ रही है।
ताजा स्थिति:
– कुछ आत्मघाती हमलावर बंधकों के बीच घुले-मिले बैठे हैं, जिससे बचाव अभियान कठिन हो गया है।
– पाकिस्तानी सेना ड्रोन और हेलीकॉप्टरों की सहायता से ऑपरेशन चला रही है, लेकिन दुर्गम इलाके और बंधकों की मौजूदगी के कारण कठिनाइयां आ रही हैं।
– राहत ट्रेन और एंबुलेंसों को घटनास्थल पर भेज दिया गया है।
प्रधानमंत्री का बयान और सरकार की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले को “दहशतगर्दी का नया रूप” करार दिया और कहा कि जवानों की कुर्बानी को हमेशा याद रखा जाएगा।
बलूचिस्तान सरकार ने सिबी अस्पताल में आपातकाल घोषित कर दिया है और सेना को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरी छूट दी गई है। हालाँकि, सरकार बीएलए की मांगों पर विचार करने या न करने के मुद्दे पर अभी तक कोई स्पष्ट रुख नहीं अपना पाई है।
बलूचिस्तान में हिंसा का बढ़ता दौर
बलूचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान और बलूच अलगाववादियों के बीच संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। बीएलए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की माँग करता आया है और इस प्रकार के कई हमलों को अंजाम दे चुका है।
बलूच संघर्ष की मुख्य वजहें:
• प्राकृतिक संसाधनों पर केंद्र सरकार का एकाधिकार।
• बलूच लोगों पर कथित दमन और मानवाधिकार उल्लंघन।
• स्वतंत्र बलूचिस्तान की माँग।
सरकार के पास विकल्प
फिलहाल, पाकिस्तान सरकार के पास दो ही विकल्प हैं:
1. बीएलए की मांगें मानकर संकट को टालना।
2. सैन्य अभियान तेज कर बंधकों को छुड़ाने की कोशिश करना।
हालांकि, आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान का पुराना रिकॉर्ड देखें तो संभावना ज्यादा है कि सरकार सैन्य कार्रवाई ही करेगी। लेकिन, बंधकों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
सुरंग में खड़ी जाफर एक्सप्रेस अब युद्ध का मैदान बन चुकी है, जहां हर पल तनाव बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना होगा कि सरकार किस रणनीति को अपनाती है और क्या बंधकों को सुरक्षित बचाया जा सकता है या नहीं।