नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता पी. वेणुगोपाल को समन भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। अदालत ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि इस तरह के कदम न्यायपालिका की स्वायत्तता के लिए खतरा बन सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद देश के प्रमुख वकील संगठनों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह और एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के प्रमुख विपिन नायर ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए अदालत से उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई के समक्ष यह मामला पेश किया गया है और उनसे इस विषय पर अगली कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन मांगा गया है। वकीलों के व्यापक विरोध के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता वेणुगोपाल को भेजा गया समन वापस ले लिया है।
कानूनी बिरादरी ने इस घटनाक्रम को अभूतपूर्व बताते हुए इसे संस्थागत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप की कोशिश करार दिया है।