‘विराट’ कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास

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भारतीय क्रिकेट के लिए यह सप्ताह भावनात्मक रूप से भारी रहा। पहले कप्तान रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया और अब विराट कोहली ने भी इस लंबे प्रारूप को अलविदा कह दिया। हर खिलाड़ी के जीवन में वह क्षण आता है जब उसे मैदान को विदा कहना होता है, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिनका जाना एक युग का अंत जैसा प्रतीत होता है। विराट कोहली ऐसे ही चंद विशिष्ट क्रिकेटरों में गिने जाते हैं, जिन्हें क्रिकेट के इतिहास में ‘ऑल टाइम ग्रेट्स’ की श्रेणी में सम्मानित स्थान मिलेगा।

जब डॉन ब्रैडमैन ने सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी में अपनी झलक देखी थी, उसी तरह वेस्टइंडीज के दिग्गज विवियन रिचर्ड्स को विराट कोहली का खेल देखकर अपने दिन याद आ जाते थे। विव की बल्लेबाजी जितनी आक्रामक और विस्फोटक थी, उतनी ही कलात्मक भी। विराट ने इन गुणों को आत्मसात कर 123 टेस्ट मैचों तक क्रिकेट प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया।

ब्रायन लारा की हाल की टिप्पणी – जिसमें उन्होंने विराट से टेस्ट क्रिकेट न छोड़ने की अपील की – इस बात का प्रमाण है कि विराट सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक क्रिकेट के लिए कितने अहम रहे हैं। एक ऐसा बल्लेबाज, जो टीम की रीढ़ रहा और प्रतिद्वंद्वी टीमों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना। जब तक विराट क्रीज पर रहते, विरोधी खेमे में बेचैनी रहती। वे रन चेज़ में मास्टर माने जाते हैं और उनके खेल में वह समझ और आत्मविश्वास था जिससे वे मैच का रुख पलटने की क्षमता रखते थे।

विराट का योगदान सिर्फ बल्ले तक सीमित नहीं है। एक कप्तान के रूप में उन्होंने भारतीय टीम को संघर्ष, साहस और अनुशासन का पाठ पढ़ाया। यह वही भावना है जो सौरव गांगुली के नेतृत्व से शुरू हुई, महेंद्र सिंह धोनी के काल में निखरी और विराट कोहली के दौर में अपनी पराकाष्ठा पर पहुंची। विराट ने एक ऐसी टीम तैयार की जो हर परिस्थिति में लड़ने को तैयार रहती थी।

विराट का नाम हमेशा एक प्रेरणा, एक ऊर्जा, और एक जुनून के रूप में याद रखा जाएगा। यह संतोष की बात है कि वे अब भी वनडे क्रिकेट में सक्रिय हैं और उनके चाहने वालों को उनकी बल्लेबाजी का लुत्फ कुछ समय और लेने का अवसर मिलेगा।

विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास भले ही एक अध्याय का अंत हो, लेकिन उनके योगदान की गूंज क्रिकेट के इतिहास में हमेशा सुनाई देती रहेगी।