वक्फ कानून के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले को हिंसा की आग में झोंक दिया है। निमटीटा रेलवे स्टेशन, सुती, रघुनाथगंज और शमशेरगंज जैसे इलाकों में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। शुक्रवार को उग्र प्रदर्शनकारियों ने निमटीटा स्टेशन पर ट्रेनों पर पथराव किया, जिससे रेल सेवाएं प्रभावित हुईं। कई ट्रेनों को डायवर्ट और दो को रद्द करना पड़ा।
रेलवे और सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा
प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक और नेशनल हाईवे 12 को जाम कर दिया। सुती में सरकारी बसों को आग के हवाले कर दिया गया, और रघुनाथगंज के उमरपुर इलाके में पुलिस की दो गाड़ियों को जला दिया गया। हिंसा के चलते धुलियानगंगा और निमटीटा रेलवे स्टेशनों के बीच ट्रेनों की आवाजाही ठप हो गई है। न्यू फरक्का-अजीमगंज रेल खंड पर करीब 5000 प्रदर्शनकारियों ने एलसी गेट नंबर 42 और 43 के पास ट्रैक जाम कर दिया है।
प्रभावित ट्रेनें और रेल सेवाएं
रेलवे के अनुसार, 53029 अजीमगंज-भागलपुर पैसेंजर और 53435 कटवा-अजीमगंज पैसेंजर ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। वहीं, पाँच ट्रेनों को डायवर्ट किया गया है, जिनमें बालुरघाट-नबद्वीप धाम एक्सप्रेस, कामाख्या-पुरी एक्सप्रेस, तीस्ता तोर्सा एक्सप्रेस, कोलकाता-सिलचर स्पेशल और हावड़ा-मालदा टाउन इंटरसिटी शामिल हैं।
पुलिस कार्रवाई और बढ़ता तनाव
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया, लेकिन भीड़ के उग्र रवैये के चलते तनाव बरकरार है। कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और बड़ी संख्या में वाहनों को नुकसान पहुंचा है। शांति बनाए रखने के लिए शमशेरगंज में बीएसएफ की तैनाती कर दी गई है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 को सुती में लागू किया गया है, फिर भी प्रदर्शन जारी हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आरोप-प्रत्यारोप
पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस हिंसा के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने राज्य को ‘जिहादियों’ के हवाले कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के पास लॉ एंड ऑर्डर का जिम्मा हो, तो 15 मिनट में हिंसा पर काबू पा लिया जाएगा।
मजूमदार ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ममता बनर्जी कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल रही हैं। CAA विरोध के समय भी राज्य में ऐसी ही अराजकता देखी गई थी। उनकी चुप्पी निंदनीय है और यह दिखाती है कि यह हिंसा जानबूझकर होने दी जा रही है।”
वक्फ बचाओ आंदोलन की घोषणा
इसी बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने “वक्फ बचाओ अभियान” की घोषणा की है। यह अभियान 11 अप्रैल से 7 जुलाई 2025 तक चलेगा। इसके अंतर्गत 30 अप्रैल को रात 9 बजे मुसलमान अपने घरों और कारखानों की बिजली आधे घंटे के लिए बंद कर “बत्ती गुल आंदोलन” के माध्यम से खामोश विरोध दर्ज कराएंगे। आंदोलन का अंतिम चरण दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित किया जाएगा।
वक्फ कानून के खिलाफ बंगाल में भड़का विरोध अब हिंसक रूप ले चुका है। पुलिस, रेलवे और प्रशासन के सामने चुनौती यह है कि कैसे कानून व्यवस्था को बहाल किया जाए और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सियासी बयानबाज़ियों के बीच यह ज़रूरी हो गया है कि राज्य सरकार सख्त और प्रभावी कदम उठा कर हालात पर काबू पाए।