वाशिंगटन : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडन द्वारा आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए ‘ऑटोपेन’ तकनीक के इस्तेमाल को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। ट्रंप ने इसकी औपचारिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। इस कदम से अमेरिकी राजनीति में हलचल मच गई है। ट्रंप का आरोप है कि ऑटोपेन के जरिये दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर नीतिगत फैसले लिए गए, जबकि यह स्पष्ट नहीं था कि निर्णय कौन ले रहा था।
‘ऑटोपेन’ एक स्वचालित उपकरण है जो हस्ताक्षर की हूबहू नकल कर सकता है। अमेरिका में कई दशकों से राष्ट्रपति इसका उपयोग करते रहे हैं, लेकिन ट्रंप का कहना है कि बाइडन के मामले में इस तकनीक का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने दावा किया कि इससे राष्ट्रपति की निर्णय लेने की क्षमता पर पर्दा डालने की कोशिश की गई।
ट्रंप ने अपने निर्देश में कहा, “यह देश के लोकतंत्र के लिए अत्यंत चिंताजनक मामला है। जनता को यह बताना आवश्यक है कि किसके आदेश पर नीतियां बनाई जा रही थीं।” उन्होंने जांच की जिम्मेदारी अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी और व्हाइट हाउस के कानूनी सलाहकार डेविड वॉरिंगटन को सौंपी है।
बाइडन के सलाहकारों से पूछताछ की तैयारी
इस मुद्दे के साथ ही अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की निगरानी समिति (हाउस ओवरसाइट कमेटी) ने बाइडन प्रशासन के पांच पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों से साक्षात्कार का अनुरोध किया है। समिति के अध्यक्ष और रिपब्लिकन सांसद जेम्स कॉमर ने कहा कि इन अधिकारियों ने बाइडन की मानसिक स्थिति को लेकर जनता को गुमराह किया।
कॉमर ने कहा, “ये अधिकारी व्हाइट हाउस की अंदरूनी गतिविधियों और फैसलों के प्रत्यक्ष गवाह थे। अब समय आ गया है कि वे जनता के सामने सच्चाई रखें।” जिन लोगों को बुलाने की मांग की गई है, उनमें माइक डोनिलन, अनीता डन, रॉन क्लेन, ब्रूस रीड और स्टीव रिचेट्टी शामिल हैं।
कॉमर का दावा है कि यह प्रकरण अमेरिका के इतिहास के सबसे गंभीर राजनीतिक घोटालों में से एक बन सकता है। अब निगाहें इस जांच के अगले चरण और इससे होने वाले राजनीतिक असर पर टिकी हैं।