रांची, 5 सितंबर 2025: रांची यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक लापरवाही का एक और गंभीर मामला सामने आया है। हाल ही में भूगोल स्नातक की कॉपियों के गुम होने की घटना से उबरने से पहले ही अब मास्टर ऑफ लॉज (एलएलएम) के पासआउट छात्रों को गलत प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट बांटने का खुलासा हुआ है।
जारी किए गए प्रमाणपत्रों में “मास्टर ऑफ लॉज” की जगह “मास्टर ऑफ लॉ” छपा है, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानकों के अनुरूप नहीं है। कानून के विशेषज्ञों और प्राध्यापकों का कहना है कि यह कोई साधारण टाइपिंग त्रुटि नहीं, बल्कि एक बड़ा अकादमिक भूल है। “एलएलएम” शब्द लैटिन शब्दावली ‘लेगम मैजिस्टर’ से लिया गया है, और इसका सही नामकरण “मास्टर ऑफ लॉज” ही है।
छात्रों में इस गलती को लेकर भारी रोष और चिंता है। उनका कहना है कि इस त्रुटिपूर्ण प्रमाणपत्र के कारण देश के अन्य हिस्सों या विदेशों में नौकरी और आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन करते समय उनके डिग्री की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं। एक प्रभावित छात्र ने कहा, “हमने दो साल की मेहनत से यह डिग्री हासिल की, लेकिन विश्वविद्यालय की इस लापरवाही से हमारा भविष्य खतरे में पड़ सकता है।”
विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, प्रमाणपत्रों को कई स्तरों पर जांच और वरिष्ठ अधिकारियों के अनुमोदन के बाद ही वितरित किया जाता है। इसके बावजूद ऐसी गंभीर गलती का सामने आना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। छात्रों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय तुरंत गलत प्रमाणपत्रों को वापस ले और सही डिग्रियां जारी करे।
अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं। प्रशासन को शीघ्र सुधारात्मक कदम उठाकर छात्रों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।