रांची, 01 सितंबर 2025: झारखंड के पारंपरिक व्यंजन ‘मडुआ छिलका’ को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) दिलाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग के निर्देश पर रांची स्थित होटल प्रबंधन संस्थान (IHM रांची) ने केंद्रीय उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) में इसके लिए आवेदन किया है। मडुआ (रागी) से बना यह व्यंजन स्वाद और पोषण का अनूठा संगम है, जो झारखंड की आदिवासी संस्कृति का प्रतीक है।
IHM रांची के प्राचार्य डॉ. भूपेश कुमार ने बताया कि मडुआ छिलका अपने विशिष्ट स्वाद, पारंपरिक विधि, डिजाइन और पोषणीय महत्व के लिए GI टैग का हकदार है। झारखंड की लाल मिट्टी में उगने वाला मडुआ कैल्शियम, आयरन और फाइबर से भरपूर है, जो कुपोषण और डायबिटीज में लाभकारी है। यह पतली, कुरकुरी रोटी सरहुल, करमा जैसे त्योहारों में बनाई जाती है। IHM इसकी सांस्कृतिक विशिष्टता प्रमाणित करेगा।
DPIIT ने व्यंजन की अनूठी विशेषताएं, विधि और GI टैग के लाभों पर स्पष्टीकरण मांगा है। IHM जवाब तैयार कर रहा है और उत्पादकों, सखी मंडलों व स्वयं सहायता समूहों से सहमति ले रहा है। GI टैग से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, नकली उत्पाद रुकेंगे और पर्यटन बढ़ेगा। हाल ही में ‘भारत पर्व’ (जनवरी 2025, नई दिल्ली) में इसे सराहा गया।
मडुआ छिलका के साथ मांडर, देवघर पेड़ा जैसे उत्पादों के लिए भी GI टैग की प्रक्रिया चल रही है। यह पहल झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर ले जाएगी।