पटना/रांची, 6 अगस्त 2025: बिहार और झारखंड के बीच अंतरराज्यीय बस परमिट की स्वीकृति और नवीकरण में देरी से वाहन मालिकों और यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर प्रसाद सिंह ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर बताया कि परमिट प्रक्रिया में 6 महीने से एक साल की देरी हो रही है। इससे निजी बस मालिकों को रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। परमिट के मूल दस्तावेज समय पर नहीं मिलने और सूचना में देरी से बसें बिना परमिट खड़ी हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा हो रही है।
बिहार द्वारा हस्ताक्षरित परमिट को झारखंड में मान्यता नहीं मिलने से डिबुडीह चेकपोस्ट पर बसें रोकी जा रही हैं। हाल ही में परिवहन अधिकारियों द्वारा एक बस को जबरन रोकने और चालक के साथ कथित दुर्व्यवहार की घटना की INTUC नेता राजू अहलूवालिया ने निंदा की और कार्रवाई की मांग की। फेडरेशन ने 10 अगस्त को पटना में बैठक बुलाई है, जिसमें चक्का जाम और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर विचार होगा।
वाहन मालिकों ने पुराने परमिट नियमों (0-5 साल की बसों के लिए 600 किमी, 5-10 साल के लिए 400 किमी) पर सवाल उठाए, जो नई बसों की गुणवत्ता के अनुरूप नहीं हैं। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 79 के तहत नियम सरल करने की मांग की गई। झारखंड में भी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 310 बसों का भुगतान लंबित है, और अब 400 बसें मांगी गई हैं। फेडरेशन ने समन्वय समिति बनाकर 30 दिनों में परमिट स्वीकृति की मांग की है। समाधान न हुआ तो छठ पूजा में बस सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।