रांची: झारखंड के रिम्स (रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के निदेशक डॉ. राजकुमार और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के बीच तनातनी ने नया मोड़ ले लिया है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा डॉ. राजकुमार को 17 अप्रैल 2025 को निदेशक पद से हटाने के आदेश के खिलाफ डॉ. राजकुमार ने झारखंड हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने इस कार्रवाई को नियम-विरुद्ध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया, क्योंकि उनका पक्ष सुने बिना यह निर्णय लिया गया।
स्वास्थ्य मंत्री ने डॉ. राजकुमार पर रिम्स अधिनियम-2002 का उल्लंघन, शासी परिषद और विभागीय निर्देशों की अवहेलना, और असंतोषजनक कार्यप्रणाली के आरोप लगाए थे। इसके जवाब में, 28 अप्रैल 2025 को जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और राज्य सरकार, रिम्स प्रशासन, और स्वास्थ्य सचिव से जवाब तलब किया। कोर्ट ने इस आदेश को “कलंकात्मक” करार देते हुए उचित प्रक्रिया न अपनाने पर सवाल उठाए। नतीजतन, डॉ. राजकुमार को फिर से निदेशक पद पर बहाल किया गया।
6 मई 2025 को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने हटाने का आदेश वापस लेने की जानकारी दी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी। इस विवाद की जड़ में 15 अप्रैल 2025 को हुई रिम्स शासी परिषद की बैठक में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस भी बताई जा रही है। इसके अलावा, डॉ. राजकुमार पर उनके बेटे के रिम्स में अनियमित नामांकन और स्टाइपेंड से संबंधित आरोप भी लगे, जिनकी प्रारंभिक जांच की गई।
इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी और सरयू राय ने सरकार पर भ्रष्टाचार का विरोध करने की सजा देने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने डॉ. राजकुमार की अनुशासनहीनता का हवाला दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही, लेकिन बीजेपी पर राजनीति करने का पलटवार किया।
यह विवाद रिम्स के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है, और इसके भविष्य के निहितार्थ पर सभी की नजरें टिकी हैं।