महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर लंबे समय से चर्चा है कि दोनों राज्यों में अक्टूबर में मतदान हो जाएगा।इसके बाद रिजल्ट भी एक साथ ही घोषित होंगे। इस बीच चर्चा यह भी छिड़ गई है।कि महाराष्ट्र में चुनाव बाद में कराए जा
सकते हैं जबकि हरियाणा में पहले हीवोटिंग करा ली जाए। इसकी वजह यह है कि महाराष्ट्र में नई विधानसभा के गठनकी अंतिम तारीख 26 नवंबर है, जबकि हरियाणा के लिए 3 नवंबर है। ऐसे में महाराष्ट्र को लेकर चर्चा है कि अक्टूबर
के दूसरे सप्ताह में आचार संहिता लगाई जा सकती है और नवंबर में दिवाली के बाद कभी भी चुनाव हो सकते हैं और 20 तारीख तक रिजल्ट घोषित किया जा सकता है।
एकनाथ शिंदे सरकार भी ऐसा ही चाहती है ताकि उसे चुनाव के लिए कुछ और वक्त मिल जाए। ऐसे में वह कुछ परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कर सके। महाराष्ट्र के चुनाव में देरी का अंदाजा इस बात से भी लग रहा है कि आयोग की टीम ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है और वहां सुरक्षा का जायजा लिया लेकिन अब तक महाराष्ट्र में आ योग की है। इसके बाद टीम हरियाणा भी पहुंची है। ओर से कोई हलचल नहीं दिखी है। इससे अनुमान लग रहा है कि कश्मीर और हरियाणा में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं, जबकि महाराष्ट्र के लिए थोड़ा वक्त लिया जाएगा। इसमें समस्या भी नहीं है क्योंकि हरियाणा में फेस्टिवल सीजन से पहले इलेक्शन हो सकते हैं। वहीं महाराष्ट्र में दिवाली के बाद चुनाव कराए जा सकते हैं। इस साल 1 नवंबर को ही दिवाली है। ऐसे में उसके बाद कभी भी वोटिंग राज्य में हो सकती है और फिर तीसरे सप्ताह तक नतीजे घोषित किए जा सकते हैं। चर्चा है कि 10 से 15 अक्टूबर के बीच आचार सहिता महाराष्ट्र में लागू की जा सकती है और फिर नवंबर में वोटिंग करा ली जाएगी। तीसरे सप्ताह में भी यदि नतीजे घोषित होते हैं तो विधानसभा के गठन के लिए कुछ दिन का समय बचा रहेगा।
वहीं एकनाथ शिंदे सरकार को भी लगता है कि जितनी देरी से चुनाव हों, उन्हें उतना वक्त मिलेगा। इसकी वजह यह महागठबंधन का शानदार प्रदर्शन रहा था है कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी और उन्हें 30 सीटों पर जीत मिली थी।
ऐसे में उस झटके से उबरने और नये सिरे से हवा बनाने के लिए शिंदे सरकार थोड़ा वक्त चाहती है।