रांची, 29 जून 2025: झारखंड की औद्योगिक नीति में “शराब” शब्द के समावेश ने हाल ही में एक नए विवाद को जन्म दिया है। इसी नीति के तहत राज्य की एक बीयर उत्पादक कंपनी को भारी-भरकम वैट रिफंड मिला है। यह मामला तब सामने आया, जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इससे जुड़ा एक पोस्ट वायरल हो गया।
नीति की भाषा बनी लाभ का आधार
मामले की पड़ताल से यह बात सामने आई है कि झारखंड सरकार की औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में “शराब” या “एल्कोहल आधारित उत्पादों” को कुछ विशेष टैक्स राहत दी गई है। नीति के दायरे में बीयर जैसे मादक पेय भी आ गए, जिससे बीयर कंपनी ने इस प्रावधान का लाभ उठाते हुए वैट रिफंड का दावा किया और उसे यह राशि प्राप्त भी हुई।
हालांकि, किस कंपनी को यह राशि मिली और कुल कितनी रकम रिफंड की गई—इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
नीति और नीयत पर सवाल
आर्थिक जानकारों का कहना है कि यह मामला औद्योगिक नीति के शब्दों की व्याख्या से जुड़ा है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, नीति में प्रयुक्त शब्दों की अस्पष्टता से ऐसे प्रावधानों का लाभ उठाया जा सकता है, जो मूल उद्देश्य से इतर हैं। वहीं, कुछ का मानना है कि राज्य में निवेश और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ऐसे टैक्स प्रोत्साहन ज़रूरी हैं, भले ही वह बीयर उद्योग से ही क्यों न जुड़े हों।
सरकार की चुप्पी
राज्य सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि सूत्रों का मानना है कि मामला नीति के दायरे में आते हुए वैध तरीके से निपटाया गया है। फिर भी, नीति की समीक्षा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब सामाजिक संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है।
सामाजिक दृष्टिकोण से विरोध
शराब और उससे जुड़ी नीतियां हमेशा सामाजिक संवेदनशीलता का विषय रही हैं। कुछ सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि नीति में स्पष्ट संशोधन किया जाए, जिससे केवल उन उद्योगों को प्रोत्साहन मिले जो सामाजिक रूप से अधिक स्वीकार्य हैं।
इस घटना ने झारखंड की औद्योगिक नीति, कर ढांचे और नीतिगत भाषा पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है। अब सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम और संभावित नीति संशोधन पर टिकी हैं।