ढाका में दुर्गा मंदिर पर चला बुलडोज़र, भारत ने जताई कड़ी नाराज़गी

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नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित एक दुर्गा मंदिर को प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए जाने पर भारत ने गहरी चिंता जताई है। यह मंदिर ढाका के खिलखेत क्षेत्र में स्थित था, जिसे बांग्लादेश रेलवे के अधिकारियों ने पुलिस और सेना की मौजूदगी में गिरा दिया। भारत ने इस क़दम को लेकर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठाए हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हमें यह जानकर दुख हुआ कि ढाका में एक दुर्गा मंदिर को सुरक्षा देने के बजाय प्रशासन ने उसे अवैध निर्माण बताकर गिरा दिया। इससे न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि मूर्ति को भी नुकसान पहुंचा है।”

भारत ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल का विध्वंस नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन है। जायसवाल ने यह भी जोड़ा कि “हमने पहले भी बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी। यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह उनके धार्मिक स्थलों की रक्षा करे।”

सूत्रों के मुताबिक, कुछ कट्टरपंथी समूहों द्वारा मंदिर को हटाने की मांग की जा रही थी। इस दबाव के बीच, प्रशासन ने महज़ तीन दिनों के भीतर कार्रवाई करते हुए मंदिर को ध्वस्त कर दिया। वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि बुलडोज़र मंदिर को गिरा रहे थे, जबकि मां दुर्गा की मूर्ति उस समय मंदिर के भीतर मौजूद थी। श्रद्धालु मंदिर को बचाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन अधिकारियों ने उनकी अपील अनसुनी कर दी।

बांग्लादेश रेलवे का कहना है कि यह मंदिर कथित रूप से रेलवे की ज़मीन पर अवैध रूप से बना हुआ था। हालांकि, धार्मिक स्थल पर इस तरह की कार्रवाई ने वहां के हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय को हाल ही में बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के समक्ष उठाया था। मोदी ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भारत की गहरी चिंता जताते हुए उम्मीद जताई थी कि बांग्लादेश सरकार ऐसी घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी।