इस्लामाबाद/वॉशिंगटन: पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और आर्मी चीफ असीम मुनीर एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। अमेरिका यात्रा के दौरान दिए गए एक अपमानजनक बयान से उन्होंने पूरे पाकिस्तान को शर्मसार कर दिया है। उनका बयान सीधे तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की हैसियत पर सवाल खड़े करता है और इस बात की पुष्टि करता है कि देश की असली कमान सेना के हाथों में है।
प्रधानमंत्री को लेकर की आपत्तिजनक टिप्पणी
अमेरिका में एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान मुनीर ने कहा कि “अगर पाकिस्तान में कोई कुत्ता भी प्रधानमंत्री बन जाए, तो उसका समर्थन किया जाना चाहिए।” यह कथन न केवल पाकिस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे का मजाक उड़ाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वहां प्रधानमंत्री की भूमिका कितनी सीमित है और वास्तविक सत्ता कहां केंद्रित है।
कटपुतली सरकार, पर्दे के पीछे सेना
मुनीर के इस बयान से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान में सत्ता की बागडोर निर्वाचित नेताओं के हाथ में नहीं, बल्कि सेना के हाथों में है। मौजूदा हालात में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ महज एक औपचारिक चेहरा बनकर रह गए हैं, जबकि निर्णय लेने की ताकत पूरी तरह से सेना के पास है।
अमेरिका में ट्रंप से मुलाकात बनी चर्चा का विषय
कुछ दिन पहले फील्ड मार्शल असीम मुनीर की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच मीटिंग भी चर्चा का केंद्र बनी रही। इस मुलाकात ने यह संकेत दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह समझ बन चुकी है कि पाकिस्तान की वास्तविक सत्ता सेना के पास है। यही कारण है कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री के बजाय सेना प्रमुख को आमंत्रित किया। बैठक के दौरान मुनीर ने यहां तक कह दिया कि शांति के प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार ट्रंप को मिलना चाहिए।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
गौरतलब है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले से ठीक पहले भी असीम मुनीर ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसके बाद उनकी आलोचना हुई थी। अब एक बार फिर उनके शब्दों ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहज स्थिति में ला खड़ा किया है।
असीम मुनीर के हालिया बयान ने पाकिस्तान की लोकतांत्रिक व्यवस्था की हकीकत को उजागर कर दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र एक दिखावा मात्र है और वास्तविक शक्ति अब भी सेना के पास ही है।