पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार द्वारा हाल ही में किए गए आयोगों के पुनर्गठन को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे सत्ताधारी दल की मनमानी करार देते हुए एक बार फिर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
राजद का आरोप है कि सरकार ने अपने खास लोगों और रिश्तेदारों को आयोगों में जगह देकर लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गुरुवार को पटना की सड़कों पर उतरे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रदेश कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जो दल सार्वजनिक रूप से परिवारवाद का विरोध करते हैं, उन्होंने अब खुद आयोगों को ‘दामाद आयोग’ बना दिया है।
राजद कार्यकर्ताओं ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब सरकार दामादों को इतनी प्राथमिकता दे रही है, तो उन्हें भी आयोगों में जगह दी जाए, क्योंकि वे भी किसी न किसी के ‘जमाई’ तो हैं ही। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन आयोगों में भ्रष्टाचार से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। साथ ही यह सवाल भी उठाया गया कि नीतीश कुमार ने आखिर किन दबावों में आकर यह निर्णय लिए हैं।
इस राजनीतिक घमासान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर बिहार के दौरे पर हैं। पिछले पांच महीनों में यह उनका चौथा दौरा है। इस बार वे सिवान पहुंचे, जो कभी राजद के कद्दावर नेता सैयद शहाबुद्दीन की राजनीतिक भूमि रहा है और जिसे महागठबंधन का गढ़ माना जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सिवान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया और राज्य को करीब 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। इन परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करते हुए उन्होंने विकास कार्यों की गति को और तेज करने का संकल्प दोहराया। इसके अलावा पटना से गोरखपुर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को भी उन्होंने हरी झंडी दिखाई।
राजनीतिक दृष्टि से देखें तो प्रधानमंत्री का यह दौरा वर्ष के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों को लेकर बेहद अहम माना जा रहा है।