हर वोटर की सहूलियत अब चुनाव आयोग की पहली प्राथमिकता: 100 दिनों में 21 नई पहलें

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नई दिल्ली: देशभर में मतदाताओं के अनुभव को और बेहतर बनाने की दिशा में चुनाव आयोग ने बीते 100 दिनों में कई अहम कदम उठाए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद आयोग ने 21 महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिनका मकसद वोटिंग प्रक्रिया को न केवल सरल बनाना है, बल्कि हर मतदाता तक पहुंच सुनिश्चित करना भी है।

अब हर मतदाता के लिए मतदान केंद्र और करीब

चुनाव आयोग का फोकस इस बात पर है कि कोई भी मतदाता 2 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय न करे। इसी सोच के तहत अब एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1,200 वोटर ही होंगे, जबकि पहले यह सीमा 1,500 थी। इससे शहरी क्षेत्रों, विशेषकर घनी आबादी और बहुमंजिला इमारतों वाले इलाकों में बूथों की संख्या में इजाफा होगा।

वोटर स्लिप अब ज्यादा समझने योग्य और यूज़र फ्रेंडली

वोटरों को अपने बूथ की जानकारी आसानी से मिल सके, इसके लिए मतदाता पर्चियों को सरल और स्पष्ट रूप दिया गया है। साथ ही मतदान केंद्रों पर अब मोबाइल फोन जमा करने की सुविधा भी दी जाएगी, जिससे मतदाता बिना किसी बाधा के अपना वोट डाल सकें।

मृतकों के नाम हटाने के लिए डिजिटल प्रणाली

वोटर लिस्ट से मृत व्यक्तियों के नाम समय पर हटाने के लिए भी बड़ा कदम उठाया गया है। अब यह प्रक्रिया रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से सीधे जुड़े डेटा के जरिए होगी, जिससे मृत्यु पंजीकरण के आधार पर नाम हटाने में पारदर्शिता और तेजी आएगी।

राजनीतिक दलों से सीधा संवाद

चुनाव आयोग ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ भी व्यापक संवाद स्थापित किया है। अब तक देशभर में 4,719 बैठकें की जा चुकी हैं, जिनमें 28,000 से अधिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आम आदमी पार्टी, भाजपा, बसपा, माकपा और नेशनल पीपल्स पार्टी जैसे प्रमुख दलों के साथ विशेष बैठकें भी हो चुकी हैं।

अब केवल प्रक्रिया नहीं, भागीदारी भी प्राथमिकता

इन पहलों से स्पष्ट है कि आयोग अब सिर्फ चुनाव संचालन तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि वह हर नागरिक की भागीदारी और सुविधा को प्राथमिकता दे रहा है। आगामी उपचुनावों के बाद संवाद और सुधार की यह प्रक्रिया और व्यापक होने की उम्मीद है।

इन सभी बदलावों का उद्देश्य है। लोकतंत्र को और मजबूत बनाना, जहां हर वोट की कीमत हो और हर मतदाता की आवाज सुनी जाए।