इमरान खान का बड़ा खुलासा: पाकिस्तान सरकार को बताया सेना की कठपुतली, कहा- ‘इनके पास कोई असली ताकत नहीं’

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक इमरान खान, जो इस वक्त रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं, ने एक बार फिर देश की सियासत को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पाकिस्तान सरकार को “सेना की कठपुतली” करार देते हुए कहा कि वे केवल सैन्य प्रतिष्ठान से ही बातचीत करना चाहेंगे, क्योंकि मौजूदा सरकार के पास कोई वास्तविक शक्ति नहीं है।

“कठपुतली सरकार के साथ बातचीत निरर्थक”: इमरान खान

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दिए गए एक बयान में इमरान खान ने लिखा,

“कठपुतली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PMNL-N) सरकार के साथ बातचीत करना समय की बर्बादी है। इस सरकार ने पहले ही दो महीने यूं ही गंवा दिए हैं। इसका एकमात्र उद्देश्य झूठे अधिकार को बनाए रखना है, जबकि असली सत्ता कहीं और है।”

“बातचीत केवल असली ताकत के साथ होगी”

इमरान खान ने साफ कहा कि वे केवल उन्हीं लोगों से संवाद करेंगे, जिनके पास असली सत्ता है यानि सैन्य प्रतिष्ठान।

“मुझे कठिनाई का कोई डर नहीं है, क्योंकि मेरा संकल्प मजबूत है।”

“जंगल का कानून चल रहा है”

खान ने आरोप लगाया कि उनके और उनकी पार्टी के सदस्यों के खिलाफ राजनीतिक मामलों की झड़ी, जबरन अपहरण और प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाने की कोशिशें, केवल PTI को तोड़ने के लिए की जा रही हैं। उन्होंने कहा,

“यह सब दर्शाता है कि पाकिस्तान में कानून का राज समाप्त हो चुका है, अब यहां सिर्फ जंगल का कानून बचा है।”

9 मई की घटनाओं पर भी उठाए सवाल

इमरान खान ने 9 मई 2023 को हुई घटनाओं के नाम पर PTI के खिलाफ चलाए जा रहे मामलों को “झूठा अभियान” बताया। उन्होंने कहा,

“आज तक कोई सीसीटीवी फुटेज पेश नहीं किया गया है, और यह साबित करता है कि साजिश के तहत कार्रवाई की जा रही है।”

“मुझसे कोई संपर्क नहीं किया गया”

इमरान खान ने यह भी दावा किया कि आज तक किसी ने भी उनसे बातचीत के लिए संपर्क नहीं किया है और इसके विपरीत जो भी खबरें फैलाई जा रही हैं, वे पूरी तरह झूठी हैं।

सेना प्रमुख की आलोचना

इमरान खान ने इससे पहले सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करने की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्हें “राजा” की उपाधि देना ज्यादा उपयुक्त होगा।

इमरान खान का यह बयान न सिर्फ पाकिस्तान की सियासत में हलचल मचाने वाला है, बल्कि इससे यह भी साफ होता है कि वे जेल में रहकर भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और अपनी पार्टी व विचारधारा के लिए डटे हुए हैं।