कांग्रेस में शशि थरूर को लेकर मतभेद उभर कर सामने आए, भाजपा ने दिया समर्थन

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केंद्र सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले और “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया है। इस दल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर को सौंपे जाने पर कांग्रेस के भीतर भारी असहमति देखने को मिल रही है।

राहुल गांधी की सुझाई सूची में थरूर का नाम नहीं

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने वह आधिकारिक सूची सार्वजनिक की, जिसे विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र को भेजा था। सूची में आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और नसीर हुसैन के नाम हैं; थरूर का उल्लेख नहीं है। इससे साफ है कि पार्टी ने उन्हें प्रतिनिधिमंडल के लिए स्वीकृत नहीं किया।

“कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना”

डॉ. थरूर का कहना है कि उन्हें पहले ही न्योता मिला था और उन्होंने पार्टी को अवगत भी करा दिया था। इसके बावजूद नाम कटने पर सवाल उठ रहे हैं कि शीर्ष नेतृत्व उन पर भरोसा नहीं कर रहा। जयराम रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा, “कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों अलग बातें हैं,” जो थरूर की निष्ठा पर संदेह को दर्शाता है।

अक्सर ‘पार्टी लाइन’ से हटते रहे थरूर

चाहे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने का फैसला हो, केरल की वाम सरकार की सराहना हो या नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ नीतियों का समर्थन—डॉ. थरूर कई बार पार्टी लाइन से इतर रुख़ अपनाते रहे हैं। हाल में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को सिरे से खारिज करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र के रुख़ का समर्थन किया, जिसे भी नेतृत्व ने नापसंद किया।

कांग्रेस का सरकार पर आरोप

कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाया कि उसने विपक्ष द्वारा भेजे गए नामों को दरकिनार कर पसंद के चेहरों को चुन लिया, जिससे बहुदलीय सहयोग की भावना आहत हुई है।

भाजपा ने थरूर के पक्ष में उतारी ढाल

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सवाल उठाया, “विदेश नीति की गहरी समझ और संयुक्त राष्ट्र अनुभव रखने वाले थरूर को कांग्रेस ने क्यों नज़रअंदाज़ किया? क्या यह ईर्ष्या है या फिर हाईकमान से ज़्यादा चमकने का डर?” उन्होंने दावा किया कि भाजपा थरूर के चयन का समर्थन करती है।

डॉ. थरूर ने सरकार का आभार जताते हुए कहा कि वे देश का पक्ष मजबूती से रखेंगे, पर कांग्रेस–थरूर टकराव अब खुले में है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह खाई भविष्य में और गहरी हो सकती है।