गैर-मजरूआ खास जमीन की रजिस्ट्री पर लगी रोक खत्म, हाईकोर्ट ने सरकार की अधिसूचना को बताया गलत

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रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने गैर-मजरूआ खास जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने संबंधी राज्य सरकार की अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने Chotanagpur Diocesan Trust Association (CNDTA) और अन्य याचिकाओं की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ताओं— सीएनडीटीए, अरुण बारवा, वीएसआरएस कंस्ट्रक्शन, बीरेंद्र नारायण देव, सुभाष अग्रवाल और भगवती देवी — ने वर्ष 2015 में जारी अधिसूचना संख्या 1132 को चुनौती दी थी। याचिकाओं में कहा गया था कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 22-ए के तहत राज्य सरकार को जो अधिकार दिए गए हैं, वे संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं।

क्या है धारा 22-ए?

इस धारा के अनुसार, राज्य सरकार सार्वजनिक नीति के आधार पर कुछ संपत्तियों के पंजीकरण पर रोक लगा सकती है।

कोर्ट ने क्यों खारिज की अधिसूचना?

अदालत ने माना कि सार्वजनिक नीति एक अस्पष्ट और अनिर्धारित अवधारणा है, जिसका दुरुपयोग हो सकता है। इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के राजस्थान सरकार बनाम बसंत नाथा मामले का हवाला दिया गया, जिसमें यह कहा गया था कि बिना स्पष्ट दिशानिर्देशों के सार्वजनिक नीति को आधार बनाकर सरकार संपत्ति पंजीकरण पर रोक नहीं लगा सकती।

हाईकोर्ट ने कहा कि झारखंड सरकार की अधिसूचना भी उसी तरह की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही असंवैधानिक घोषित कर चुका है। इसलिए अधिसूचना संख्या 1132 को रद्द किया जाता है। साथ ही, इस अधिसूचना के तहत रजिस्ट्री विभाग द्वारा पारित सभी आदेश स्वतः निरस्त माने जाएंगे।