7 मई को बजेगा ‘एयर रेड’ सायरन: देशभर में होगी सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल, बिजली रहेगी बंद

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भारत सरकार ने सुरक्षा के मोर्चे पर एक बड़ा कदम उठाते हुए 7 मई (बुधवार) को पूरे देश में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस मॉक ड्रिल के तहत हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे और ब्लैकआउट यानी बिजली कटौती की जाएगी।

ड्रिल का उद्देश्य: नागरिक सुरक्षा में जागरूकता और तैयारी

यह मॉक ड्रिल केवल एक औपचारिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सुरक्षा कदम है। इसका उद्देश्य है:

• आम नागरिकों को युद्ध जैसी आपात स्थिति में सुरक्षा उपायों के लिए प्रशिक्षित करना

• रणनीतिक परिसरों और संस्थानों की सुरक्षा की जांच करना

• भीतरूनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना

• संभावित बाहरी हमलों से निपटने की तैयारी करना

ड्रिल के दौरान क्या होगा?

• पूरे देश में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजेंगे

• ब्लैकआउट की स्थिति बनाई जाएगी – क्षेत्रीय स्तर पर बिजली काटी जाएगी

• रणनीतिक संस्थानों को छुपाने (कैमोफ्लाज) की तैयारी की जाएगी

• निकासी योजनाओं (Evacuation Plans) का अभ्यास किया जाएगा

• स्कूलों, कॉलेजों और आम नागरिकों को सुरक्षा संबंधी ट्रेनिंग दी जाएगी

पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच ड्रिल की अहमियत

यह मॉक ड्रिल ऐसे समय पर हो रही है जब भारत-पाक सीमा पर तनाव चरम पर है। नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान द्वारा लगातार 11 दिनों से बिना उकसावे के गोलाबारी की जा रही है, जिसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया है। इसके अलावा, पाकिस्तान अपनी रक्षा तैयारियों को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है, जिससे हालात और अधिक संवेदनशील हो गए हैं।

22 अप्रैल का पहलगाम आतंकी हमला: एक ट्रिगर

7 मई की इस मॉक ड्रिल के पीछे की सबसे बड़ी वजह 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने निर्दोष 26 नागरिकों को एके-47 से गोली मार दी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे गंभीर आतंकी हमला माना जा रहा है।

सामान्य नागरिकों की भूमिका

सरकार चाहती है कि इस ड्रिल में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी हो। उन्हें सिखाया जाएगा कि आपात स्थिति में कैसे सतर्क रहें, कैसे अपने और दूसरों की जान की रक्षा करें, और किस तरह सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम करें।

यह पहल न केवल देश की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में कदम है, बल्कि यह नागरिकों को एकजुट कर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया तंत्र का हिस्सा बनाने का प्रयास भी है।