एक दौर था जब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में पाकिस्तानी कलाकारों को खुले दिल से मौका दिया जाता था। चाहे वह सिंगर आतिफ असलम हों या अभिनेता फवाद खान, इन सभी को भारत में खूब प्यार और मंच मिला। लेकिन अफसोस, कई बार यही कलाकार भारत के खिलाफ ज़हर उगलते नज़र आए। वहीं, उनके ही देश से आने वाले आतंकवादी हमारे देशवासियों पर हमले करते रहे। इस पृष्ठभूमि में भारत में इन कलाकारों को काम देने पर सवाल खड़े होते रहे हैं।
समय बदला, सत्ता बदली और लोगों की सोच भी। आवाज़ उठी कि पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में मंच नहीं मिलना चाहिए। धीरे-धीरे इंडस्ट्री ने इस दिशा में कदम भी उठाए। लेकिन जब माहौल थोड़ा शांत हुआ, तो कुछ निर्माता-निर्देशक फिर से उन्हीं चेहरों को मौका देने लगे।
इसी क्रम में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान की नई फिल्म अबीर गुलाल बनाई गई, जिसमें उनके साथ भारतीय अभिनेत्री वाणी कपूर नजर आ रही हैं। फिल्म का निर्देशन आरती बागड़ी ने किया है और यह 9 मई को रिलीज़ होने वाली थी। मगर अब इस फिल्म की भारत में रिलीज़ पर रोक लगा दी गई है।
यह बड़ा फैसला हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें हमारे वीर जवान शहीद हुए। ऐसे वक्त में जब एक ओर पाकिस्तान समर्थित आतंकी भारत के निर्दोष नागरिकों और जवानों की जान ले रहे हैं, तो दूसरी ओर उसी देश के कलाकारों को भारत में मंच देना – ये किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता।
सबसे बड़ा सवाल यही है – आखिर पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम क्यों मिलना चाहिए? जब उनका देश हमारे खिलाफ साजिशें रचता है, तो हमें भी अपने निर्णयों में कठोरता दिखानी होगी। अफसोस की बात यह है कि हमारे ही बीच कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने फायदे के लिए देशहित को नजरअंदाज करते हैं।
हम एकता और देशभक्ति की बातें करते हैं, लेकिन जब बात एकजुट होकर निर्णय लेने की आती है, तो कई बार हम सिर्फ बातें ही करते रह जाते हैं। ऐसे में इस फिल्म पर लगी रोक एक स्वागतयोग्य कदम है, जो यह दिखाता है कि देशहित सर्वोपरि है – और रहना भी चाहिए।