देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूत लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत ने पूरे भारतवर्ष को गर्व और शोक से भर दिया है। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए विनय नरवाल की अंतिम विदाई एक ऐसा दृश्य बन गई जिसने हर आंख को नम कर दिया।
शहीद लेफ्टिनेंट विनय की पत्नी हिमांशी ने जब उनका तिरंगे में लिपटा शव देखा, तो खुद को रोक नहीं सकीं। वे ताबूत से लिपटकर फूट-फूटकर रो पड़ीं, लेकिन उनके शब्दों में पति के लिए गर्व झलक रहा था। हिमांशी ने सैल्यूट करते हुए कहा, “हमें आप पर हमेशा गर्व रहेगा… जय हिंद!” इस दृश्य ने वहां मौजूद हर व्यक्ति के दिल को झकझोर दिया।
छह दिन पहले हुई थी शादी, अब तिरंगे में लिपटा लौटा दूल्हा
विनय और हिमांशी की शादी 16 अप्रैल को मसूरी में डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में हुई थी। शादी की खुशियां अभी घर में बनी ही थीं कि यह दिल दहला देने वाली खबर आई। तीन दिन पहले 19 अप्रैल को करनाल में रिसेप्शन हुआ था, जिसके बाद नवविवाहित जोड़ा हनीमून के लिए कश्मीर के पहलगाम गया। लेकिन किसे पता था कि यह सफर इस तरह अधूरा रह जाएगा।
परिवार की टूटती उम्मीदें, अधूरे रह गए सपने
विनय के दादा हवा सिंह, जो कि पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हैं, पोते की शहादत के बाद खुद को संभाल नहीं पा रहे। उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “अगर वीजा मिल गया होता और वे यूरोप गए होते, तो शायद आज परिवार की खुशियां सलामत होतीं।” विनय और हिमांशी यूरोप में हनीमून की योजना बना रहे थे, लेकिन वीजा न मिलने के कारण उन्होंने कश्मीर जाने का फैसला किया था।
एक बहादुर अफसर, एक अधूरी कहानी
26 वर्षीय विनय नरवाल मूल रूप से हरियाणा के भूसली गांव के रहने वाले थे और तीन साल पहले ही भारतीय नौसेना में भर्ती हुए थे। वह अपनी शादी के बाद छुट्टी पर घर आए थे और तीन मई को कोच्चि ड्यूटी पर लौटने वाले थे। एक मई को उनका जन्मदिन भी था, जिसे लेकर परिवार बेहद उत्साहित था।
भावुक कर देने वाला दृश्य
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें विनय घायल अवस्था में ज़मीन पर पड़े हैं और उनकी पत्नी हिमांशी उनके पास बैठी रो रही हैं। यह दृश्य किसी को भी अंदर तक झकझोर देने वाला है। विनय के अंतिम दर्शन के समय सैकड़ों लोग करनाल स्थित उनके घर पर पहुंचे। हर आंख नम थी, हर दिल गर्व और शोक से भरा था।
नमन उस शूरवीर को
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वे आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका बलिदान, उनका साहस और उनके प्रति पत्नी हिमांशी की श्रद्धा हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।
जय हिंद! विनय, तुम अमर हो।