सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को सख्त चेतावनी दी है कि वे या तो मंत्री पद से इस्तीफा दें या फिर उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। अदालत ने साफ कहा कि बालाजी को सोमवार तक यह तय करना होगा कि वे मंत्री रहना चाहते हैं या अपनी जमानत बचाना।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा कि मंत्री पद पर रहते हुए बालाजी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें दोनों में से एक विकल्प चुनना होगा। कोर्ट ने यह भी नाराज़गी जताई कि जमानत मिलने के तुरंत बाद ही उन्होंने दोबारा मंत्री पद की शपथ ले ली थी।
जस्टिस ओका ने कहा कि उन्हें जमानत दोष या बेगुनाही के आधार पर नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 (न्यायिक प्रक्रिया में देरी के कारण) के तहत दी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बताया कि बालाजी ने जमानत के लिए कोर्ट में कहा था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन बाद में फिर से मंत्री बन गए।
बालाजी के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि मुकदमा किसी और राज्य में शिफ्ट किया जा सकता है ताकि गवाहों पर कोई असर न पड़े, लेकिन कोर्ट ने कहा कि इससे मूल उद्देश्य हल नहीं होगा क्योंकि इस मामले में एक हज़ार से ज़्यादा गवाह हैं।
गौरतलब है कि सेंथिल बालाजी को ED ने जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह मामला 2011-2015 के दौरान AIADMK सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए “नौकरी के बदले पैसा” घोटाले से जुड़ा है। उन्हें सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी और इसके तीन दिन बाद उन्होंने फिर से मंत्री पद की शपथ ले ली थी।