कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन ने आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि की है। पोप फ्रांसिस का स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से ठीक नहीं था और वह विभिन्न चिकित्सीय समस्याओं से जूझ रहे थे।
पोप फ्रांसिस, जिनका जन्म अर्जेंटीना में हुआ था, कैथोलिक चर्च के इतिहास में पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। 2013 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद उन्होंने पदभार संभाला था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने चर्च में सुधारों, पर्यावरण संरक्षण, गरीबों की सहायता और वैश्विक शांति के लिए कई उल्लेखनीय प्रयास किए।
उनकी सादगी, करुणा और विनम्रता के लिए उन्हें दुनियाभर में सराहा गया। धार्मिक मतभेदों को पाटने और विभिन्न समुदायों के बीच संवाद स्थापित करने की दिशा में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
पोप फ्रांसिस के निधन पर विश्वभर के नेताओं और धर्मगुरुओं ने शोक व्यक्त किया है। वेटिकन में उनके सम्मान में शोकसभा आयोजित की गई है, जहां लाखों श्रद्धालु उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे हैं।
उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को मानवता, करुणा और सेवा का संदेश देती रहेगी।