इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सोशल मीडिया पर पोस्ट लाइक करना अपराध नहीं

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भड़काऊ पोस्ट को केवल लाइक करना आईटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को सिर्फ लाइक करना अपराध नहीं है। आईटी एक्ट 2008 की धारा 67 केवल अश्लील तस्वीर या वीडियो के प्रसारण पर लागू होती है, न कि किसी विचारात्मक या भड़काऊ पोस्ट को लाइक करने पर।

यह महत्वपूर्ण टिप्पणी जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने एक केस की सुनवाई के दौरान की। अदालत ने आगरा के सीजेएम कोर्ट में इमरान के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

मामला क्या था?

आगरा के मंटोला थाना क्षेत्र के निवासी इमरान पर आरोप था कि उन्होंने फेसबुक पर एक ऐसी पोस्ट को लाइक किया, जिसमें राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने और विरोध-प्रदर्शन के लिए लोगों को आगरा कलेक्ट्रेट पर एकत्र होने की अपील की गई थी। इस पोस्ट के बाद एक समुदाय विशेष के 600-700 लोग बिना अनुमति के जुलूस में शामिल हो गए, जिससे शहर की शांति व्यवस्था भंग हुई।

पुलिस ने इसे भड़काऊ पोस्ट मानते हुए, खुद संज्ञान लेते हुए इमरान के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की और चार्जशीट दाखिल कर दी। इमरान को आरोपी बनाकर ट्रायल कोर्ट में तलब किया गया।

इमरान की दलील और कोर्ट का फैसला

इमरान के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने कोई आपत्तिजनक या भड़काऊ पोस्ट खुद नहीं डाली थी, बल्कि सिर्फ एक पोस्ट को लाइक किया था। पुलिस ने दावा किया कि इमरान ने वह पोस्ट फेसबुक से डिलीट कर दी है, लेकिन समान सामग्री वॉट्सऐप और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद थी।

कोर्ट ने जब पुलिस केस डायरी का अवलोकन किया, तो पाया कि इमरान ने सिर्फ उस्मान नामक व्यक्ति के पोस्ट को लाइक किया था, शेयर नहीं किया था। ऐसे में सिर्फ लाइक करने को अपराध नहीं माना जा सकता।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी पोस्ट को लाइक करना और उसे शेयर करना दो अलग बातें हैं। शेयर करना यदि भड़काऊ हो, तो वह अपराध की श्रेणी में आ सकता है, लेकिन सिर्फ लाइक करना नहीं। इसी आधार पर कोर्ट ने इमरान के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।