सुप्रीम कोर्ट: शराब की लत छुपाने पर नहीं मिलेगा इंश्योरेंस क्लेम

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यदि बीमा पॉलिसी लेते समय कोई महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे कि शराब की लत, छुपाई जाती है, तो बीमा कंपनी क्लेम देने से इनकार कर सकती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में इसी आधार पर बीमा कंपनी के फैसले को सही ठहराया।

मामला:

एक व्यक्ति ने एलआईसी की ‘जीवन आरोग्य’ पॉलिसी खरीदी थी, जिसके तहत उसे नॉन-आईसीयू में भर्ती होने पर प्रतिदिन 1,000 रुपये और आईसीयू में भर्ती होने पर 2,000 रुपये मिलने थे। पॉलिसी खरीदने के एक साल बाद, वह गंभीर पेट दर्द के कारण अस्पताल में भर्ती हुआ और एक महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई।

एलआईसी ने क्यों खारिज किया क्लेम?

मृतक की पत्नी ने बीमा क्लेम किया, जिसे एलआईसी ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि पॉलिसीधारक ने अपनी पुरानी शराब की लत की जानकारी छुपाई थी। एलआईसी के ‘जीवन आरोग्य’ प्लान के क्लॉज 7(XI) के अनुसार, आत्महत्या के प्रयास, खुद को नुकसान पहुंचाने, या शराब/ड्रग्स के दुरुपयोग से होने वाली जटिलताओं को बीमा कवर से बाहर रखा गया है। यानी, यदि किसी व्यक्ति को शराब पीने से कोई बीमारी होती है, तो उसे पॉलिसी का लाभ नहीं मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

मृतक की पत्नी ने कंज्यूमर फोरम में शिकायत की, जहां एलआईसी को मेडिकल खर्च का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मृतक ने अपनी शराब की लत को जानबूझकर छुपाया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि तथ्यों को छुपाने के कारण एलआईसी ने क्लेम खारिज कर सही फैसला लिया।

बीमा पॉलिसी लेते समय सभी आवश्यक जानकारियां सही तरीके से देना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी तथ्य छुपाता है, तो बीमा कंपनी कानूनी रूप से क्लेम देने से इनकार कर सकती है।