पादरी बजिंदर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे लोग, सुरक्षा की मांग

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मोहाली और चंडीगढ़ की दो महिलाओं समेत चार लोगों ने विवादित पादरी बजिंदर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं रणजीत कौर, रुपिंद्र कौर, अशोक कुमार और हरिंद्र सिंह ने अपनी जान और स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग की है।

गंभीर आरोप और धमकियां

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पादरी बजिंदर सिंह ने उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकियां दीं। वे पहले बजिंदर सिंह के साथ काम करते थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि वह धर्म के नाम पर ठगी और शोषण कर रहा है, तो उन्होंने विरोध किया और खुद को अलग कर लिया। इसके बाद उन पर दबाव बनाया जाने लगा और धमकियां मिलनी शुरू हो गईं।

घटना और सबूत

याचिका के अनुसार, 13-14 फरवरी 2025 की रात, एक कार्यक्रम के बाद बजिंदर सिंह ने रणजीत कौर को थप्पड़ मारा और गला घोंटने की कोशिश की। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई, जिसका वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

18 फरवरी को याचिकाकर्ताओं ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बजिंदर सिंह को कानूनी नोटिस भेजा। इसके बाद उन्हें लगातार धमकियां मिलने लगीं कि यदि उन्होंने मामला आगे बढ़ाया, तो उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा दिया जाएगा। 25 फरवरी को मोहाली के एसएसपी को शिकायत दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस को ई-मेल के जरिए भी शिकायत भेजी गई, परंतु कोई जवाब नहीं मिला।

एफआईआर और पुलिस की निष्क्रियता

वीडियो वायरल होने और जन दबाव के बाद, 25 मार्च को थाना ब्लॉक मजारी, एसएएस नगर, मोहाली में एफआईआर दर्ज की गई। हालांकि, गैर-जमानती अपराध होने के बावजूद बजिंदर सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और मामले की जांच मोहाली से बाहर किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या विशेष जांच दल (SIT) को सौंपी जाए।

हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि बजिंदर सिंह पर पहले से ही दुष्कर्म और धोखाधड़ी के गंभीर मामले दर्ज हैं, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 26 मार्च को बजिंदर सिंह के समर्थकों ने मोहाली एसएसपी कार्यालय का घेराव किया, जिसे याचिकाकर्ताओं ने उनके खिलाफ दबाव बनाने की कोशिश बताया।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद पंजाब सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने पाया कि याचिका में संबंधित थानों के अधिकारियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को इस त्रुटि को ठीक करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, कोर्ट ने मोहाली पुलिस को याचिकाकर्ताओं की शिकायत पर विचार कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।