नई दिल्ली, 27 मार्च 2025 – 14 अप्रैल 2025 का दिन भारत के इतिहास में एक विशेष और सम्मानजनक अवसर के रूप में दर्ज होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती को देशभर में राजकीय अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया है। यह घोषणा भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) द्वारा जारी आधिकारिक ज्ञापन के माध्यम से की गई है, जिसे नई दिल्ली स्थित नॉर्थ ब्लॉक से 27 मार्च 2025 को जारी किया गया।
डॉ. आंबेडकर के सम्मान में एक ऐतिहासिक निर्णय
डॉ. भीमराव आंबेडकर, जिन्हें पूरे देश में स्नेहपूर्वक बाबासाहेब कहा जाता है, ने भारत के संविधान का निर्माण किया और जीवनभर सामाजिक समानता, दलितों और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे। उनकी जयंती, जो 14 अप्रैल को मनाई जाती है, न केवल उनके अतुलनीय योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात कर सशक्त और समावेशी समाज की दिशा में कार्य करने का भी प्रतीक है।
मोदी सरकार का यह निर्णय देशभर के सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और स्वायत्त निकायों में लागू होगा। 14 अप्रैल सोमवार के दिन होने के कारण यह अवकाश एक संपूर्ण दिन के लिए प्रभावी रहेगा, जिससे लोग बाबासाहेब के विचारों को आत्मसात करने के लिए विभिन्न आयोजनों में भाग ले सकेंगे।
किन संस्थानों पर रहेगा अवकाश?
आधिकारिक ज्ञापन के अनुसार, यह अवकाश सभी मंत्रालयों और विभागों पर लागू होगा, जिसमें शामिल हैं –
✔ यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग)
✔ सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग)
✔ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग
✔ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
✔ केंद्रीय सूचना आयोग
✔ अन्य महत्वपूर्ण स्वायत्त निकाय और अधीनस्थ कार्यालय
इसके अलावा, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन मंत्रालय से संबंधित इकाइयों को भी इस अवकाश का पालन करने का निर्देश दिया गया है। डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) की आधिकारिक वेबसाइट और पीआईबी (प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो) के माध्यम से इस निर्णय की व्यापक जानकारी दी जाएगी।
समाज में जागरूकता और एकता का संदेश
इस राजकीय अवकाश के दौरान, स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे, जिससे लोग सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों में भाग लेकर बाबासाहेब के विचारों को अधिक गहराई से समझ सकें।
मोदी सरकार का यह कदम डॉ. आंबेडकर के प्रति गहरे सम्मान और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह निर्णय समाज में समानता, जागरूकता और एकता को मजबूत करेगा और डॉ. आंबेडकर के सपनों के भारत को साकार करने की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित होगा।