सरना समिति द्वारा आहूत रांची बंद का असर शहर के विभिन्न इलाकों में स्पष्ट रूप से देखा गया। बंद समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और कई स्थानों पर अवरोध खड़े कर यातायात बाधित करने की कोशिश की। इसके चलते शहर की प्रमुख सड़कों पर वीरानी छा गई और सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।
बंद समर्थकों का प्रदर्शन और दुकानें बंद कराने की अपील
बंद समर्थकों ने विभिन्न इलाकों में घूम-घूमकर दुकानदारों से अपनी दुकानें बंद करने की अपील की। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर यातायात को अवरुद्ध करने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से सतर्क रहा और समय रहते सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रित किया। प्रमुख चौक-चौराहों और संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई थी, जिससे किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
लोआडीह, कडरू, कांके और कटहल मोड़ पर टायर जलाकर जाम
शहर के लोआडीह, कडरू, कांके और कटहल मोड़ इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर यातायात बाधित करने की कोशिश की। सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और सख्ती से प्रदर्शनकारियों को हटाया। इस दौरान, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा घटनास्थल पर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों की वीडियोग्राफी भी कराई गई ताकि बाद में आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
सरना स्थल के पास फ्लाईओवर रैंप का विरोध
बंद का प्रमुख कारण राजधानी रांची के सिरम टोली स्थित सरना स्थल के पास बनने वाले फ्लाईओवर के रैंप का विरोध था। समिति का कहना है कि फ्लाईओवर का यह रैंप सरना स्थल के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है और इससे श्रद्धालुओं को असुविधा हो सकती है। समिति ने पहले भी सरकार से आग्रह किया था कि सरना स्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए फ्लाईओवर का रैंप कहीं और बनाया जाए।
सरकार से कार्रवाई की मांग
सरना समिति के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने सरकार को कई बार ज्ञापन सौंपकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सरकार की निष्क्रियता के चलते समिति को मजबूर होकर रांची बंद का आह्वान करना पड़ा।
समिति के वरिष्ठ सदस्यों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जाता और सरकार इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लेती, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। समिति ने प्रशासन से अपील की है कि वे जल्द से जल्द इस विषय पर समाधान निकालें ताकि जनता को असुविधा न हो और सरना स्थल की पवित्रता बनी रहे।
बंद का मिला-जुला असर
बंद के कारण जहां कई दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे, वहीं कुछ स्थानों पर दुकानें खुली भी रहीं। आम जनता को भी आवाजाही में परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रशासन की सतर्कता के चलते कोई बड़ा अप्रिय हादसा नहीं हुआ।
सरना समिति के इस आंदोलन ने एक बार फिर से आदिवासी समुदाय के सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों के संरक्षण की मांग को केंद्र में ला दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और क्या फ्लाईओवर के रैंप को लेकर कोई वैकल्पिक समाधान निकाल पाती है या नहीं।