प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘बेचारी’ (Poor Thing) टिप्पणी को लेकर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि ‘शाही परिवार’ ने ‘एक आदिवासी बेटी’ का अपमान किया है।
‘द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी परिवार से हैं’
दिल्ली में एक राजनीतिक रैली में पीएम मोदी ने कहा, “द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी परिवार से आई हैं। उनकी मातृभाषा हिंदी नहीं, बल्कि ओड़िया है। राष्ट्रपति ने आज संसद को बहुत बढ़िया तरीके से प्रेरित किया और भाषण दिया। लेकिन कांग्रेस के राजपरिवार ने उनका अपमान करना शुरू कर दिया। राजपरिवार के एक सदस्य (राहुल गांधी) ने कहा कि आदिवासी बेटी ने एक उबाऊ भाषण दिया। एक अन्य सदस्य (सोनिया गांधी) ने राष्ट्रपति को एक ‘बेचारी’ कह दिया। उन्हें एक आदिवासी बेटी का भाषण उबाऊ लगता है।”
‘यह देश के 10 करोड़ आदिवासी भाई-बहनों का अपमान है’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह टिप्पणी देश के 10 करोड़ आदिवासी भाइयों और बहनों का अपमान है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी ने कहा, “यह देश के 10 करोड़ आदिवासी भाई-बहनों का अपमान है। यह देश के हर गरीब व्यक्ति का अपमान है। उन्हें लोगों को गाली देना, विदेशों में भारत को बदनाम करना और शहरी नक्सलियों के बारे में बात करना पसंद है। दिल्ली को बहुत सतर्क रहना होगा। हार के डर से इन दो अहंकारियों ने हाथ मिला लिया है।”
सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति पर की ये टिप्पणी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संसद में संयुक्त अभिभाषण पर प्रतिक्रिया करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, “अंत तक राष्ट्रपति बहुत थक गई थीं…बेचारी, वह मुश्किल से बोल पा रही थीं।” इसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस बयान की निंदा की। जेपी नड्डा ने कहा, “मैं और भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए सोनिया गांधी की ओर से “बेचारी” शब्द के प्रयोग की कड़ी निंदा करता है। इस तरह के शब्दों का जानबूझकर प्रयोग कांग्रेस पार्टी की जातिवाद, गरीब-विरोधी और आदिवासी-विरोधी प्रकृति को दर्शाता है।”
राष्ट्रपति भवन ने भी इस टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि यह उचित भावना नहीं रखती। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा, “संसद में माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण पर मीडिया के समक्ष प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं ने ऐसी टिप्पणियां की हैं, जिनसे स्पष्ट रूप से उच्च पद की गरिमा को ठेस पहुंची है और इसलिए ये अस्वीकार्य हैं।”