भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर कहा है कि ट्रंप प्रशासन का आना बिजनेस के नजरिए से एक अहम बदलाव है. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक समानताएं समय के साथ और गहरी हुई हैं, जिससे कई सहयोगी अवसर उपलब्ध हुए हैं.
सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन में डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि, ‘लीवरेजिंग और हथियारीकरण के युग में, निवेश सहित आर्थिक निर्णयों के मामले में नीति निर्माताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा फिल्टर लगाने होंगे.
जयशंकर नई दिल्ली में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ साझेदारी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित 29वें सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन में ‘भारत और विश्व, प्रगति के लिए भागीदारी’ विषय पर विशेष पूर्ण सत्र में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि, “हम जिस आर्थिक परिदृश्य को देख रहे हैं, वह एक गहरे परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. इसका प्रभावी ढंग से जवाब देना केवल एक राष्ट्रीय प्रयास नहीं हो सकता, इसके लिए और अधिक भागीदारी की आवश्यकता है.” उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी, अमेरिका-चीन तनाव और रूस-यूक्रेन संघर्ष सहित हाल की वैश्विक घटनाओं ने दुनिया को किस तरह अधिक असुरक्षित बना दिया है. इस पर विस्तार से बताते हुए डॉ. जयशंकर ने भारत के लिए भरोसेमंद और विश्वसनीय भागीदारी और अधिक स्वाभाविक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया.
घरेलू स्तर पर बेहतर निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जयशंकर ने क्षमताओं को बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और कौशल सेट को व्यापक बनाने की आवश्यकता बताई. उन्होंने डिजिटल युग और एआई क्रांति के आगमन के साथ अधिक डेटा जागरूकता और संबंधित क्षमताओं को विकसित करने में निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया.
उन्होंने इस संबंध में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया. डॉ. जयशंकर ने ज्ञान अर्थव्यवस्था में प्रतिभा की उपलब्धता को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में रेखांकित किया और कौशल की मांग और इसकी अनुपलब्धता के बीच बढ़ते बेमेल जैसे जनसांख्यिकीय चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए साझेदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया.