रांची, 6 सितंबर 2025: झारखंड में आगामी जनगणना बिना सरना धर्म कोड के आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी जातियों का डेटा एकत्र किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब 1931 के बाद देश में जातीय जनगणना होगी, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ अन्य सभी जातियों की जानकारी शामिल होगी। भू-राजस्व विभाग जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है।
सरना धर्म कोड को शामिल करने की मांग लंबे समय से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राज्य सरकार द्वारा उठाई जा रही है। इस संबंध में झारखंड विधानसभा ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन केंद्र ने इसे न तो स्वीकृत किया है और न ही खारिज किया है। नतीजतन, इस बार की जनगणना में सरना धर्म कोड शामिल नहीं होगा।
आदिवासी समुदाय की विशिष्ट धार्मिक पहचान को मान्यता देने के लिए सरना धर्म कोड की मांग जोर पकड़ रही है। यह धर्म प्रकृति पूजा पर आधारित है और 2011 की जनगणना में लगभग 50 लाख लोगों ने, जिनमें से 80% से अधिक झारखंड के थे, अपने धर्म के रूप में ‘सरना’ दर्ज किया था।
यह मुद्दा झारखंड की राजनीति में भी गर्माया हुआ है। झामुमो और कांग्रेस इस मांग का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस पर असमंजस की स्थिति में है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरना धर्म कोड का मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
राज्य सरकार ने जनगणना की तैयारियां शुरू कर दी हैं और सभी जातियों के डेटा संग्रह को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने पर जोर दे रही है। इस जनगणना से सामाजिक-आर्थिक नीतियों को और प्रभावी बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।