रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडेय ने केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने मनरेगा, मिड डे मील, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के बजट में भारी कटौती की है। इसके विपरीत, उन्होंने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की योजनाओं जैसे अबुआ आवास, अबुआ स्वास्थ्य, सर्वजन पेंशन और मंईयां सम्मान की प्रशंसा की, जो जनता को राहत प्रदान कर रही हैं।
पांडेय ने केंद्र सरकार के हालिया जीएसटी राहत पैकेज को चुनावी चाल करार दिया और इसे ‘गब्बर सिंह टैक्स’ की मजबूरी बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि राहत इतनी जरूरी थी, तो पिछले सात वर्षों में दाल, चावल, दवाइयों, किताबों और कृषि उपकरणों पर कर क्यों लगाए गए? उन्होंने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों पर केंद्र की चुप्पी पर भी निशाना साधा। साथ ही, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं, विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार की खामोशी को लेकर सवाल उठाए।
पांडेय ने दावा किया कि केंद्र ने मनरेगा को कमजोर करने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा के लिए आवंटित बजट में भी कमी की है। इसके उलट, झारखंड सरकार ने हर परिवार को 5 किलो अतिरिक्त चावल उपलब्ध कराया। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र बेरोजगारी के समाधान में नाकाम रहा है, जबकि झारखंड सरकार ने सहिया साथी, फेलोशिप और रोजगार सृजन जैसी योजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।
भाजपा पर निशाना साधते हुए पांडेय ने कहा कि उनकी चुनावी रणनीतियाँ अब जनता की समझ में आ चुकी हैं और उचित समय पर जनता इसका जवाब देगी। उन्होंने भाजपा नेताओं से केंद्र की जनविरोधी नीतियों का जवाब देने की माँग की और जोर देकर कहा कि झारखंड सरकार जनहित में निरंतर कार्य कर रही है।