रांची, 4 सितंबर 2025: केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे) के सुदूर पूर्व भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कोंचोक ताशी की पुस्तक “Tibetan Language for Non-Tibetan: A Beginner’s Guide to Writing and Speaking Tibetan” का विमोचन आज विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने किया। अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन संस्था स्प्रिंगर नेचर द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की प्रस्तावना परम पावन 14वें दलाई लामा ने लिखी है।
कुलपति ने कहा कि यह पुस्तक तिब्बती भाषा और संस्कृति को समझने का एक अनमोल साधन है। यह छात्रों, शोधकर्ताओं और तिब्बती संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। दलाई लामा ने प्रस्तावना में तिब्बती भाषा को नालंदा परंपरा की विरासत और ज्ञान का संरक्षक बताया। उन्होंने डॉ. ताशी के प्रयास को युवा पीढ़ी को तिब्बती संस्कृति से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण कदम माना।
डॉ. ताशी ने बताया कि पुस्तक गैर-तिब्बती विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है। इसमें वाइली प्रणाली, सरलीकृत ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन और इंटरनेशनल फोनेटिक अल्फाबेट का उपयोग कर भाषा को सरल बनाया गया है। एक दशक से अधिक समय से तिब्बती भाषा पढ़ा रहे डॉ. ताशी ने इसे वैश्विक स्तर पर भाषा प्रचार का माध्यम बताया। पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध है।
विमोचन समारोह में विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे। यह पुस्तक तिब्बती भाषा और संस्कृति के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगी।