रामगढ़, झारखंड: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता और झारखंड आंदोलन के प्रणेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए उनके पैतृक गांव नेमरा में श्राद्ध कर्म की परंपरा निभाई। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि शिबू सोरेन की अंत्येष्टि के बाद ‘तीन कर्म दिन’ की परंपरा का निर्वहन किया गया, जिसमें दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान किए गए। सीएम ने ग्रामीणों के साथ मिलकर दसकर्म दिवस की तैयारियों का भी जायजा लिया।
इससे पहले, हेमंत सोरेन ने नेमरा की क्रांतिकारी भूमिका को नमन करते हुए लिखा, “नेमरा की यह वीर धरती दादा सोना सोबरन मांझी की शहादत और बाबा शिबू सोरेन के संघर्षों की साक्षी है। यहां के जंगल, नदियाँ और पहाड़ क्रांति की गूंज को संजोए हुए हैं।” उन्होंने इस पवित्र भूमि को शत-शत नमन करते हुए दोनों को अमर घोषित किया।
शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त 2025 को दिल्ली में हुआ था। 5 अगस्त को नेमरा में उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ, जिसमें कई राष्ट्रीय नेता शामिल थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उनकी मृत्यु को झारखंड की राजनीति में युगांतकारी माना जा रहा है। हेमंत सोरेन ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया।