भारत में मतदाता सूची की गहन जांच शुरू, पूरे देश में लागू होगी प्रक्रिया

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नई दिल्ली, 14 जुलाई 2025: भारत निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (Special Intensive Revision) शुरू करने की घोषणा की है। इसका मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों, विशेष रूप से बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों, को मतदाता सूची से हटाना और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी व निष्पक्ष बनाना है।

इस प्रक्रिया की शुरुआत बिहार से हो चुकी है, जहां 25 जून से 26 जुलाई 2025 तक हाउस-टू-हाउस सर्वेक्षण किया जाएगा। ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होगी। निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष पूरे करने वाले नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करने की तैयारी करें। अन्य राज्यों में भी बिहार मॉडल के आधार पर घर-घर जाकर मतदाताओं की नागरिकता और दस्तावेजों की जांच की जाएगी।

हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी गहरा रहा है। विपक्षी दलों ने इसे “छिपा हुआ एनआरसी” करार देते हुए आरोप लगाया है कि इससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों, जैसे अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), दलित, मुसलमान और गरीबों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर कई याचिकाएं लंबित हैं। वकील अश्विनी उपाध्याय ने पूरे देश में इस जांच को लागू करने की मांग वाली याचिका दायर की है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से सवाल किया है कि आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों को इस प्रक्रिया से बाहर क्यों रखा गया और यह कार्य गृह मंत्रालय के दायरे में क्यों नहीं है। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत नागरिकता की पुष्टि के लिए जरूरी है।

यह कदम जहां एक ओर मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, वहीं इसके कार्यान्वयन और प्रभावों पर बहस तेज हो गई है। निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों से इस प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का आह्वान किया है।