सुप्रीम कोर्ट ने बिहार वोटर वेरिफिकेशन पर रोक से इनकार किया, चुनाव आयोग को राहत

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नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है, जिससे निर्वाचन आयोग को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। इस फैसले के साथ बिहार में SIR प्रक्रिया जारी रहेगी।

राजद सांसद मनोज झा, कांग्रेस और सामाजिक संगठन ADR सहित याचिकाकर्ताओं ने SIR को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करती है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कम समय में दस्तावेज जमा करने की शर्तों से गरीब, प्रवासी मजदूर और महिलाएं वोट के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।

निर्वाचन आयोग ने कोर्ट में कहा कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य फर्जी मतदाताओं को हटाकर मतदाता सूची को पारदर्शी बनाना है। आयोग ने जोर दिया कि यह प्रक्रिया संवैधानिक है और सभी योग्य मतदाताओं को शामिल करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। कोर्ट ने आयोग से सवाल किया कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस प्रक्रिया की शुरुआत क्यों की गई और आधार कार्ड को नागरिकता के प्रमाण के रूप में क्यों नहीं स्वीकार किया गया। आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड से नागरिकता सिद्ध नहीं होती।

कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन आयोग का संवैधानिक दायित्व है, लेकिन इस प्रक्रिया को पहले शुरू करना चाहिए था। विपक्षी दलों ने SIR को “वोटबंदी” करार देते हुए इसे अल्पसंख्यकों और गरीबों के मताधिकार पर हमला बताया। वहीं, आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया।

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिहार में SIR प्रक्रिया निर्बाध जारी रहेगी, लेकिन कोर्ट ने इसकी वैधता और समयबद्धता पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। अगली सुनवाई में इस मामले पर और विस्तृत चर्चा की उम्मीद है।