पोटमदागा, रामगढ़: झारखंड के रामगढ़ जिले के दुलमी प्रखंड स्थित पोटमदागा गांव की ममता कुमारी ने संघर्षों भरे जीवन से निकलकर आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। एक समय था जब उनका परिवार पारंपरिक खेती पर निर्भर था, लेकिन लगातार घटती आमदनी और बढ़ती जरूरतों के कारण जीवन कठिन होता जा रहा था।
वर्ष 2016 में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSPLS) द्वारा गांव में चलाए गए जागरूकता अभियान से ममता की जिंदगी ने करवट ली। उन्होंने गांव की 12 महिलाओं के साथ मिलकर “चमेली सखी मंडल” नाम से स्वयं सहायता समूह (SHG) का गठन किया और नियमित बचत व बैठकें शुरू कीं। उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें “सक्रिय महिला” के रूप में चुना गया।
समूह की आजीविका कृषक मित्र (AKM) दीदी के सहयोग से ममता ने जैविक खेती, मशरूम उत्पादन, बतख-मुर्गी पालन, बकरी और मछली पालन जैसी आयवर्धक गतिविधियों को अपनाया। JSPLS की मदद से उन्होंने ₹50,000 और फिर ₹25,000 का लोन लेकर इन गतिविधियों की शुरुआत की।
आज ममता की वार्षिक आय लगभग ₹2.35 लाख हो चुकी है, जिसमें खेती, पशुपालन और मशरूम उत्पादन शामिल हैं। अब उनका परिवार आर्थिक रूप से सशक्त है, बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और ममता पक्का मकान और वाहन खरीदने की योजना बना रही हैं।
ममता कुमारी अब गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि सही मार्गदर्शन और प्रयास से कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है।