ईरान-अमेरिका तनाव चरम पर, कई अमेरिकी सैन्य ठिकाने ईरान के निशाने पर

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नई दिल्ली: ईरान और अमेरिका के बीच गहराते संघर्ष ने वैश्विक शांति पर खतरे की घंटी बजा दी है। इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, रविवार सुबह ईरान ने इजरायल पर 30 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें कम से कम 16 लोग घायल हुए हैं और कई इमारतों को गंभीर क्षति पहुँची है।

विश्लेषकों का मानना है कि अब ईरान का अगला निशाना अमेरिकी सैन्य ठिकाने हो सकते हैं। सीधे अमेरिका पर हमला करना भले ही मुश्किल हो, लेकिन ईरान मध्य-पूर्व में स्थित अमेरिकी एयरबेस और दूतावासों को आसानी से निशाना बना सकता है।

जानकारी के अनुसार, कतर में स्थित अल-उदीद एयरबेस, जो अमेरिका का मध्य एशिया में सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है, ईरान के संभावित टारगेट्स में शामिल है। इसके अलावा फारस की खाड़ी में मौजूद अमेरिकी नौसेना का पांचवां बेड़ा, इराक का अल-असद एयरबेस, एरबिल में स्थित हरीर एयरबेस और सीरिया का अल-तांफ गैरिसन एयरबेस भी खतरे में बताए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि पहले भी कुद्स फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान ने अल-असद एयरबेस पर मिसाइलें दागी थीं। वहीं, जनवरी 2024 में अल-तांफ बेस के पास ईरान समर्थित गुटों के हमले में अमेरिका के तीन सैनिक मारे गए थे।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच अमेरिका के कई सहयोगी देश तनाव घटाने की अपील कर रहे हैं, जबकि सऊदी अरब ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों की कड़ी आलोचना की है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर प्रत्यक्ष हमला करता है, तो यह टकराव और भी भयानक रूप ले सकता है। ईरान ने रूस से संपर्क साधा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनयिक समीकरण भी तेजी से बदल रहे हैं।

इसके अलावा, अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर गहरा असर पड़ेगा। यह जलमार्ग दुनिया के कुल तेल व्यापार का करीब 25% हिस्सा वहन करता है। इसके बंद होने से अमेरिका, भारत और अन्य देशों में पेट्रोलियम उत्पादों की भारी कमी आ सकती है।

स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है और विशेषज्ञ इसे तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका के रूप में देख रहे हैं। अब सबकी नजरें वैश्विक नेताओं की अगली रणनीति पर टिकी हैं।