भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को जल्द ही एक नया आयाम मिलने जा रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस MK1A वायुसेना के बेड़े में शामिल होने की दहलीज पर है। तकनीकी दक्षता और आधुनिक क्षमताओं से लैस यह जेट विमान अब ‘देशी राफेल’ की उपाधि पा चुका है, और इसकी खूबियों ने अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों तक को चकित कर दिया है।
विश्वस्तरीय तकनीक से युक्त तेजस MK1A, अमेरिका के F-16 और फ्रांस के राफेल जैसे अत्याधुनिक विमानों को चुनौती देने की ताकत रखता है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को चीन से 40 J-35 लड़ाकू विमान मिलने की खबरों के बीच भारत के लिए सैन्य स्तर पर आत्मनिर्भरता और तत्परता और भी जरूरी हो गई है। ऐसे में तेजस MK1A की तैनाती को एक रणनीतिक सफलता माना जा रहा है।
वर्ष 2021 में भारतीय वायुसेना ने HAL के साथ 83 तेजस MK1A विमानों की खरीद का समझौता किया था, जिसकी अनुमानित लागत 48,000 करोड़ रुपये थी। अब यह संख्या बढ़ाकर 97 कर दी गई है, जिससे कुल सौदे की कीमत 67,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। जानकारी के अनुसार, जुलाई 2025 में इन विमानों की फ्लाइट टेस्टिंग की जाएगी और इसके बाद वायुसेना को डिलीवरी शुरू हो सकती है।
तेजस MK1A में पुराने LCA संस्करण की तुलना में कई महत्वपूर्ण तकनीकी सुधार किए गए हैं। यह विमान 4.5 पीढ़ी की श्रेणी में आता है और इसकी अधिकतम गति 1.8 मैक यानी लगभग 2222 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह सुपरसोनिक क्षमता के साथ बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल तकनीक से भी लैस है, जो पायलट की नजर से परे मौजूद दुश्मन के लक्ष्य को भी भेदने में सक्षम है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, तेजस MK1A के कुछ फीचर्स अमेरिका के F-16 से भी उन्नत हैं। इसमें आधुनिक AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार प्रणाली लगी है, जो न केवल लक्ष्य की पहचान में अत्यधिक सटीकता प्रदान करती है, बल्कि इसे इलेक्ट्रॉनिक जामिंग से भी काफी हद तक सुरक्षित बनाती है।
तेजस MK1A को राफेल के समकक्ष माना जा रहा है, क्योंकि दोनों ही विमान 4.5 जनरेशन की श्रेणी में आते हैं और अत्याधुनिक युद्ध तकनीकों से लैस हैं। इस स्वदेशी उपलब्धि से भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को बड़ा बल मिलने जा रहा है।