G7 शिखर सम्मेलन में भारत की मजबूत उपस्थिति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के टोरंटो में 14-16 जून 2025 को आयोजित 51वें G7 शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। भारत, G7 का स्थायी सदस्य नहीं होने के बावजूद, एक विशेष आमंत्रित देश के रूप में इस सम्मेलन में शामिल हुआ। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब भारत को G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
द्विपक्षीय बैठकों का दौर
PM मोदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान कई प्रमुख विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
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अमेरिका: PM मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा की। विशेष रूप से, रक्षा, प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने क्वाड (Quad) गठबंधन के तहत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
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जापान: जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ बैठक में भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, सेमीकंडक्टर उत्पादन और हरित ऊर्जा परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
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इटली: इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ PM मोदी की मुलाकात में भारत-इटली संबंधों को नई दिशा देने पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत-कनाडा संबंधों में नई शुरुआत
शिखर सम्मेलन के दौरान PM मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। हाल के वर्षों में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव देखा गया था, विशेष रूप से खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और कुछ राजनयिक मुद्दों को लेकर। इस बैठक में दोनों नेताओं ने तनाव को कम करने और आपसी सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए। एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, दोनों देशों ने उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर सहमति जताई, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उम्मीद है।
जलवायु परिवर्तन पर भारत का रुख
PM मोदी ने G7 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को वैश्विक प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने भारत की ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन लक्ष्य 2070 तक हासिल करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने G7 देशों से विकासशील देशों को हरित प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने की अपील की। PM मोदी ने भारत के सौर ऊर्जा मिशन और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिसे G7 नेताओं ने सराहा।
वैश्विक शांति और स्थिरता पर जोर
वैश्विक शांति और स्थिरता के मुद्दे पर PM मोदी ने भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (विश्व एक परिवार है) के दर्शन को रेखांकित किया। उन्होंने यूक्रेन-रूस और इजरायल-ईरान जैसे क्षेत्रीय संघर्षों को कूटनीति और संवाद के माध्यम से हल करने की वकालत की। भारत की इस मध्यस्थ भूमिका को G7 नेताओं ने सकारात्मक रूप से लिया।
वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख
PM मोदी ने G7 शिखर सम्मेलन में भारत की आर्थिक प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था 2014 में 2 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2025 में 4.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। उन्होंने डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे पहलों का उल्लेख किया, जिन्होंने भारत को वैश्विक नवाचार और निवेश का केंद्र बनाया है।
शिखर सम्मेलन का व्यापक प्रभाव
G7 शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी ने न केवल भारत की वैश्विक कूटनीति को मजबूत किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि भारत वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और भू-राजनीतिक तनाव के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। PM मोदी ने अपनी यात्रा के समापन पर कहा, “भारत G7 के साथ मिलकर एक समावेशी और स्थायी भविष्य के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है।”