सेना मुख्यालय में ‘चीफ्स चिंतन’: सेना प्रमुख और पूर्व सेनाध्यक्षों के बीच दो दिवसीय मंथन, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सहित भविष्य की रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा

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नई दिल्ली: भारतीय सेना ने अपने इतिहास में पहली बार एक अनूठी पहल करते हुए ‘चीफ्स चिंतन’ नामक दो दिवसीय विचार-विमर्श सत्र का आयोजन किया है। इस संवाद में वर्तमान सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सभी पूर्व सेनाध्यक्षों के बीच सेना के आधुनिकीकरण, रणनीतिक बदलाव और संस्थागत सुधारों को लेकर विस्तार से चर्चा की जा रही है।

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलता के साथ अंजाम दिया है। इस पृष्ठभूमि में, संवाद का उद्देश्य सेना के भविष्य को सुरक्षित और सुदृढ़ बनाने के लिए पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के अनुभव और सुझावों को शामिल करना है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दी गई विस्तृत जानकारी

संवाद के पहले दिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विशेष जानकारी साझा की गई, जिसमें वायुसेना और नौसेना के साथ समन्वित अभियान की रणनीति और संचालन को रेखांकित किया गया। इस दौरान ‘जॉइंटमैनशिप मॉडल’ और त्रि-सेनात्मक समन्वय की सफलता पर भी विचार किया गया।

तकनीक, मानव संसाधन और विकसित भारत की दिशा पर मंथन

‘चीफ्स चिंतन’ के दौरान निम्नलिखित मुख्य विषयों पर विमर्श हुआ:

• तकनीकी उन्नयन: सेना में आधुनिक तकनीकों के समावेश और आत्मनिर्भरता की दिशा में हो रहे प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

• विकसित भारत@2047: भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में सेना की भूमिका को लेकर विशेष चर्चा हुई।

• मानव संसाधन नीति और पूर्व सैनिक कल्याण: सेवा में सुधार, कार्यबल की दक्षता और रिटायर्ड सैनिकों की भलाई से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की गई।

इस मौके पर जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सभी पूर्व सेनाध्यक्षों का स्वागत करते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन सेना की रणनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वरिष्ठ नेतृत्व के अनुभवों से सेना को भविष्य के लिए और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में प्रेरणा मिलती है।

पूर्व सेनाध्यक्षों ने भी विचार साझा करते हुए सेना की संगठनात्मक मजबूती, आधुनिकीकरण और रणनीति को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

रणनीतिक सोच की दिशा में ऐतिहासिक कदम

सेना मुख्यालय की यह पहल नेतृत्व की निरंतरता और सामूहिक दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह संवाद न केवल वर्तमान रक्षा जरूरतों पर केंद्रित रहा, बल्कि भविष्य की दिशा में एक ठोस रणनीतिक सोच का संकेत भी देता है। माना जा रहा है कि ‘चीफ्स चिंतन’ भविष्य में भारतीय सेना की रणनीतिक योजना और नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।