पाकिस्तान फिर मुश्किल में! FATF ने पहलगाम हमले को बताया आतंकी फंडिंग का उदाहरण, ‘ग्रे लिस्ट’ में वापसी की आशंका बढ़ी

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद एक बार फिर पाकिस्तान की वैश्विक छवि पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इस घटना की कड़ी आलोचना की है।

FATF ने सोमवार को एक कड़ा बयान जारी करते हुए कहा है कि “इस प्रकार के हमले बिना वित्तीय सहयोग और संगठित आतंकी नेटवर्क के संभव नहीं हैं।” इस बयान को पाकिस्तान की ओर एक स्पष्ट इशारा माना जा रहा है, जिसे लंबे समय से आतंकवाद को समर्थन देने और फंडिंग करने वाला देश माना जाता रहा है।

भारत द्वारा समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ ठोस सबूत प्रस्तुत किए जाते रहे हैं। अब भारत सरकार, FATF की आगामी बैठकों से पहले, पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करते हुए एक नया डोजियर तैयार कर रही है। बताया जा रहा है कि 25 अगस्त को होने वाली एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) की बैठक और 20 अक्टूबर को निर्धारित FATF की पूर्ण बैठक में यह दस्तावेज पेश किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, इस डोजियर में पहलगाम हमले से जुड़ी सामग्री, तकनीकी विवरण और फंडिंग के सबूत शामिल होंगे। भारत की कोशिश है कि पाकिस्तान को एक बार फिर FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला जाए।

FATF द्वारा जारी चेतावनी में यह भी कहा गया है कि वह अब सदस्य देशों की आतंकवाद-रोधी कार्ययोजनाओं पर बारीकी से नजर रख रहा है और ऐसे सभी स्रोतों सोशल मीडिया, क्राउड फंडिंग और वर्चुअल करेंसी पर विशेष फोकस कर रहा है, जिनसे आतंकी फंडिंग को बढ़ावा मिलता है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले भी कई बार FATF की ग्रे लिस्ट में रह चुका है। पहली बार 2008 में उसका नाम इस सूची में आया था। इसके बाद उसे 2010 में सूची से बाहर किया गया, लेकिन 2012 में फिर जोड़ा गया। 2015 में कुछ सुधारों के बाद पाकिस्तान को सूची से बाहर कर दिया गया था, लेकिन 2018 में एक बार फिर ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया गया। अक्टूबर 2022 में FATF ने पाकिस्तान को इस सूची से हटाया था, लेकिन चेतावनी दी थी कि वह सुधारों पर लगातार काम करता रहे।

FATF के अनुसार, उसका नेटवर्क 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों तक फैला हुआ है, जो आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए संयुक्त प्रयास कर रहे हैं। आने वाले समय में संस्था आतंकी फंडिंग से जुड़े आधुनिक माध्यमों पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी करने वाली है।

संभावना जताई जा रही है कि यदि पाकिस्तान ने तत्काल और ठोस कदम नहीं उठाए, तो एक बार फिर उसे ‘ग्रे लिस्ट’ में डालना तय माना जा सकता है।