जी-8 से रूस को निकालना पड़ा भारी: ट्रंप का ओबामा और ट्रूडो पर तीखा आरोप

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वॉशिंगटन/कनाडा: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी-7 शिखर सम्मेलन से पहले एक बड़ा बयान देते हुए दावा किया है कि यदि रूस को जी-8 समूह से नहीं निकाला गया होता, तो आज दुनिया यूक्रेन युद्ध जैसे संकट का सामना नहीं कर रही होती। ट्रंप ने इसके लिए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जिम्मेदार ठहराया।

‘क्रीमिया विवाद के चलते लिया गया गलत फैसला’

ट्रंप का मानना है कि रूस को वैश्विक निर्णय प्रक्रिया से अलग करना एक रणनीतिक भूल थी। उन्होंने कहा, “क्रीमिया पर रूस के नियंत्रण के बाद ओबामा और ट्रूडो ने मिलकर रूस को जी-8 से बाहर का रास्ता दिखाया, जबकि उन्हें समूह में बनाए रखना चाहिए था। यदि उस समय मैं राष्ट्रपति होता, तो हालात इतने बिगड़ते ही नहीं।”

‘पुतिन के साथ हुआ अन्याय’

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि रूस को बाहर निकाले जाने से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अपमान हुआ, जिसका गंभीर असर आज दिखाई दे रहा है। ट्रंप ने दावा किया कि पुतिन अब जी-7 नेताओं में से किसी से संवाद नहीं करना चाहते और सिर्फ उनसे बात करना पसंद करते हैं।

राजनीति से ऊपर उठकर सोचना होगा’

उन्होंने सवाल उठाया, “हम जी-7 की बैठक रूस के बिना क्यों कर रहे हैं, जब यह पहले जी-8 था? चाहे यह राजनीतिक रूप से ठीक लगे या नहीं, लेकिन रूस को फिर से शामिल करने की जरूरत है।”

2014 में हटाया गया था रूस

गौरतलब है कि जून 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान ने रूस को जी-8 से बाहर कर दिया था। इसके बाद से यह समूह फिर जी-7 बन गया।

रणनीतिक मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

इस बार कनाडा के कनानास्किस रिसॉर्ट में हो रही जी-7 बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-ईरान और इजरायल-हमास संघर्ष पर गंभीर चर्चा होने की संभावना है। यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधि भी इसमें भाग लेंगे।