नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम उन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात की, जो “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करने के उद्देश्य से दुनिया की प्रमुख राजधानियों के दौरे पर भेजे गए थे। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी अंतरराष्ट्रीय यात्रा के अनुभव साझा किए। बैठक के उपरांत प्रधानमंत्री ने डेलीगेशन के लिए रात्रिभोज का आयोजन भी किया। इस अहम बैठक में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी अनुपस्थित रहे।
सरकार ने की प्रतिनिधिमंडलों की भूमिका की सराहना
केंद्र सरकार पहले ही उन सात प्रतिनिधिमंडलों की सराहना कर चुकी है जिनमें 50 से अधिक प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। इनमें अधिकांश वर्तमान सांसद थे, वहीं कुछ पूर्व सांसद और पूर्व राजनयिक भी इस मुहिम का हिस्सा रहे। इन डेलीगेशन ने 33 वैश्विक राजधानियों और यूरोपीय संघ का दौरा कर आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट रूप से रखा।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी पहले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से भेंट कर उनके प्रयासों की प्रशंसा की थी और आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति मजबूती से रखने के लिए उनका आभार जताया था।
सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों से प्रतिनिधित्व
इन प्रतिनिधिमंडलों में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसदों को शामिल किया गया था। चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने किया, जिनमें बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत जय पांडा, जदयू के संजय झा और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे शामिल रहे। वहीं, कांग्रेस के शशि थरूर, डीएमके की कनिमोई और एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले ने विपक्ष की ओर से नेतृत्व किया।
सरकार का उद्देश्य इस पहल के माध्यम से दुनिया को यह संदेश देना था कि आतंकवाद के खिलाफ भारत एकजुट है और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं।
पूर्व मंत्रियों की भी रही भागीदारी
प्रतिनिधिमंडल में कुछ वरिष्ठ पूर्व नेताओं की भी भागीदारी रही, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और सलमान खुर्शीद शामिल थे। उन्होंने भी विदेशी मंचों पर भारत के रुख को मजबूती से रखा।
यह प्रयास भारत की वैश्विक छवि को सुदृढ़ करने और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की पोल खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम माना जा रहा है।