नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष का मूल्यांकन करते हुए देशभर में करवाए गए एक ऑनलाइन सर्वे में लोगों की राय सामने आई है। इस सर्वे के अनुसार, जहां अधिकांश लोग सरकार के प्रदर्शन से संतुष्ट नजर आए, वहीं बेरोजगारी को सबसे बड़ी नाकामी के रूप में चिन्हित किया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ बनी छवि की सबसे बड़ी सफलता
सर्वे के मुताबिक, केंद्र सरकार के पहले साल में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लोगों ने सबसे बड़ी उपलब्धि माना है। 48% प्रतिभागियों ने इसे सरकार की सबसे अहम सफलता बताया। इसके अलावा 34% लोगों ने भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को बड़ी उपलब्धि माना।
सरकार के कामकाज को 80% लोगों ने सराहा
सरकार के कुल प्रदर्शन को लेकर 62% प्रतिभागियों ने इसे “बहुत अच्छा” और 18% ने “अच्छा” बताया। वहीं, 13% ने इसे औसत और 7% ने खराब करार दिया।
बेरोजगारी से निपटने में ढील सबसे बड़ी कमजोरी
30% लोगों ने बेरोजगारी से प्रभावी तरीके से नहीं निपटने को सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी बताया। 27% ने पीओके को लेकर ठोस प्रगति न होने पर निराशा जताई, जबकि 26% ने बांग्लादेश से जुड़ी विदेश नीति को विफल बताया।
राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और महंगाई बनीं सबसे बड़ी चुनौती
आने वाले चार वर्षों में मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी, इस पर 37% लोगों ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को अहम बताया। वहीं 34% ने महंगाई और रोजगार की समस्या को बड़ी चुनौती माना।
जातिगत जनगणना को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया
जातिगत जनगणना पर राय बंटी रही। 48% लोगों ने माना कि इससे भाजपा को कोई नुकसान या फायदा नहीं होगा, जबकि 40% ने इसे भाजपा के लिए लाभकारी बताया और 12% ने नुकसानदेह माना।
मोदी की लोकप्रियता में इजाफा
66% लोगों ने माना कि मोदी सरकार के कामकाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।
विपक्ष रहा बिखरा और निष्क्रिय
विपक्ष के प्रदर्शन पर 35% लोगों ने कहा कि विपक्ष एकजुट नहीं हो पाया। 27% ने विपक्ष को कमजोर और 17% ने जनता से जुड़े मुद्दे न उठा पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
जनजीवन में मिला-जुला असर
सरकारी नीतियों का आम आदमी के जीवन पर मिला-जुला प्रभाव रहा। 47% ने माना कि जीवन सुविधाजनक हुआ है, जबकि 40% को कोई खास बदलाव महसूस नहीं हुआ और 13% ने कठिनाइयों में वृद्धि का जिक्र किया।
सर्वे के नतीजे यह संकेत देते हैं कि मोदी सरकार का शुरुआती वर्ष आम जनता के बड़े वर्ग को प्रभावित करने में सफल रहा है, लेकिन बेरोजगारी और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दे अब भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं।