बिहार में साइबर ठगी का घिनौना चेहरा उजागर: नि:संतान महिलाओं को ठगने के लिए बनाया ‘प्रेग्नेंट जॉब’ का फर्जी जाल

Spread the News

नवादा : राज्य के नवादा जिले में साइबर अपराध का एक बेहद चौंकाने वाला और शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसमें ठगों के एक गिरोह ने मासूम महिलाओं को निशाना बनाकर लाखों रुपये की ठगी की। गिरोह ने ‘ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब’ नामक एक फर्जी संस्था के नाम पर देशभर की नि:संतान महिलाओं को ठगने का गंदा खेल खेला। इस सनसनीखेज मामले में पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन नाबालिग हैं जबकि एक आरोपी सेना के जवान का बेटा बताया जा रहा है।

फर्जी कंपनी के जरिए सोशल मीडिया पर फैलाया जाल

गिरोह ने सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापन जारी किए जिनमें दावा किया गया था कि जो पुरुष नि:संतान महिलाओं को गर्भवती करने में सहायता करेगा, उसे 5 लाख रुपये तक का भुगतान किया जाएगा। इन फर्जी प्रस्तावों के बहाने महिलाओं और इच्छुक लोगों से रजिस्ट्रेशन फीस, डॉक्युमेंटेशन और अन्य मदों के नाम पर पैसे ऐंठे जाते थे। इस धोखाधड़ी को और प्रभावशाली बनाने के लिए एक वीडियो भी बनाया गया था जिसमें एक युवती इस प्रस्ताव को प्रमोट करती नजर आती है।

साइबर सेल की कार्रवाई, गिरोह का भंडाफोड़

मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर थाने की विशेष जांच टीम (SIT) ने गृह मंत्रालय के पोर्टल से मिले तकनीकी सुरागों और खुफिया सूचना के आधार पर नवादा जिले के रोह थाना क्षेत्र अंतर्गत कुंज गांव में छापेमारी की। इस दौरान चार आरोपी गिरफ्तार किए गए। आरोपियों में 26 वर्षीय राजेश कुमार नामक युवक शामिल है, जो सेना के जवान का बेटा है। गिरोह के मास्टरमाइंड की तलाश अभी जारी है।

वर्क फ्रॉम होम के नाम पर भी चल रही थी ठगी

गिरोह सिर्फ ‘प्रेग्नेंसी स्कीम’ से ही नहीं, बल्कि फर्जी वर्क फ्रॉम होम नौकरियों के नाम पर भी लोगों को ठग रहा था। देश की प्रतिष्ठित टेलीकॉम कंपनी के नाम का दुरुपयोग करते हुए ये जालसाज अखबारों और सोशल मीडिया पर विज्ञापन प्रकाशित करते थे, जिसमें घर बैठे 22,500 से 75,500 रुपये तक की कमाई का वादा किया जाता था। युवाओं, महिलाओं और बेरोजगारों को मुफ्त मोबाइल और लैपटॉप का लालच देकर झांसे में लिया जाता और फिर रजिस्ट्रेशन तथा अन्य शुल्क के नाम पर उनसे पैसे वसूले जाते थे।

पुलिस को मिले अहम सबूत, जांच जारी

गिरफ्तार आरोपियों के पास से पांच स्मार्टफोन और एक की-पैड मोबाइल बरामद हुआ है, जिनमें से कई संदिग्ध चैट्स, वीडियो और मोबाइल नंबर मिले हैं। ये सभी साइबर थाना कांड संख्या 85/25 के अंतर्गत दर्ज मामले में अहम सबूत हैं। पुलिस ने आरोपियों पर आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

आमजन को चेतावनी

पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया है कि वे यह सारा काम गिरोह के मुख्य सरगना के निर्देशों पर करते थे, जो अभी फरार है। वह न केवल पीड़ितों के नंबर उपलब्ध कराता था, बल्कि ठगी का पूरा तरीका भी बताता था।

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाले असामान्य प्रस्तावों या संदेहास्पद नौकरियों के झांसे में न आएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या स्थानीय थाने को दें।