गोपेश्वर (चमोली): उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी रविवार से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। हर साल की तरह इस वर्ष भी जून की शुरुआत में इसे आम जनता के लिए खोला गया है, जो कि अक्टूबर में बर्फबारी के बाद बंद कर दी जाती है।
घांघरिया से पहले दल को मिली प्रवेश अनुमति
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आने वाली इस घाटी के लिए पहले दिन 83 पर्यटकों को घांघरिया से प्रवेश की अनुमति दी गई। इनमें से चार सैलानियों ने ऑनलाइन परमिट प्राप्त किया जबकि शेष ने ऑफलाइन पंजीकरण कराया। यह घाटी गोविंदघाट से पुष्पावती नदी के किनारे होते हुए भ्यूंडार गांव के रास्ते घांघरिया से पहुंची जाती है, जो बदरीनाथ धाम के पास स्थित है।
यूनेस्को ने 2005 में दी थी विश्व धरोहर की मान्यता
फूलों की घाटी को इसकी समृद्ध वनस्पतियों और रंग-बिरंगे फूलों की विविधता के चलते 2005 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। यह क्षेत्र हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
मानसून के साथ खिल उठती है घाटी
मानसून के आगमन के साथ ही घाटी में फूलों की बहार आ जाती है जो सितंबर तक अपने शिखर पर होती है। इस दौरान यहां ब्रह्म कमल, ब्लू पॉपी और कोबरा लिली सहित सैकड़ों दुर्लभ फूलों की प्रजातियां खिलती हैं, जिससे पूरी घाटी रंगीन कालीन की तरह दिखने लगती है।
घूमने का अनुभव भी है साहसिक
यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को गोविंदघाट से करीब 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर घांघरिया पहुंचना होता है। वहां से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार है। घाटी में केवल दिन के समय ही भ्रमण की अनुमति होती है और सभी सैलानियों को सूर्यास्त से पहले घाटी से लौटना अनिवार्य होता है।
प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच के संगम वाली यह घाटी इस मौसम में प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।