सीमा राज्यों में ऑपरेशन शील्ड के तहत मॉक ड्रिल, पाकिस्तान में बढ़ी बेचैनी; सायरनों की गूंज से माहौल तनावपूर्ण

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नई दिल्ली/सीमावर्ती राज्य। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए ‘ऑपरेशन शील्ड’ नामक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में पंजाब, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और चंडीगढ़ जैसे संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं। इसका उद्देश्य संकट की स्थिति में विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़े उपायों की प्रभावशीलता को परखना था।

अभ्यास के दौरान कई सीमावर्ती इलाकों में एयर रेड सायरन बजाए गए, और अमृतसर सहित कई शहरों में रात के समय ब्लैकआउट भी किया गया। भारतीय वायुसेना और नागरिक सुरक्षा विभागों के बीच आपसी समन्वय बढ़ाने के लिए विशेष हॉटलाइन भी सक्रिय की गई।

भारत की ओर से इस अभ्यास की घोषणा के बाद पाकिस्तान में हलचल बढ़ गई है और सीमापार भी तनाव का माहौल देखा जा रहा है। सायरनों की आवाज और सुरक्षा बलों की सक्रियता ने क्षेत्रीय सतर्कता को और तेज कर दिया है।

तैयार किए गए जंग जैसे हालात

इन अभ्यासों में फायर ब्रिगेड, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, सिविल डिफेंस, एनसीसी, एनएसएस और होम गार्ड्स ने हिस्सा लिया। पंजाब के होशियारपुर में मॉक ड्रिल उस सिचुएशन पर आधारित थी जिसमें दुश्मन ड्रोन से सैन्य ठिकाने पर हमला करता है, और प्रशासन को फ़ौरन रेस्क्यू में जुटना पड़ता है।

शनिवार को शाम पांच बजे से शुरू हुआ मॉक ड्रिल

प्रारंभ में यह अभ्यास गुरुवार को निर्धारित था, लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसे स्थगित कर शनिवार तक टाल दिया गया था। 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम के बाद यह पहली बार है जब इतनी व्यापक स्तर पर सुरक्षा अभ्यास किया गया।

इससे पहले शुक्रवार को अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें ड्रिल की तैयारियों की समीक्षा की गई और सभी संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश जारी किए गए।

राज्यों को दिए गए निर्देश, नागरिक सुरक्षा प्रणाली का होगा परीक्षण

गृह मंत्रालय के अंतर्गत नागरिक सुरक्षा प्राधिकरण ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अपील की है कि वे अपने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से शनिवार को शाम 5 बजे से मॉक ड्रिल सुनिश्चित करें। इस दौरान सायरन बजाए जाएंगे और आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्थाओं की जांच की जाएगी।

ड्रिल का मुख्य उद्देश्य है कि किसी भी आकस्मिक हालात में नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए समय पर और प्रभावी कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता को भी परखा जा रहा है।